जिस्टाल्ट थियरी Zestalt theory – इस सिद्धान्त को जेस्टाल्ट द्वारा विकसित किया गया है। इसके अन्तर्गत कई प्रकार के अवधारणा को विकसित किया जो यह बतलाता है कि कैसे मानव मस्तिष्क द्वारा विविध प्रकार की विन्दुओं के समूह को एक खास प्रकार का अर्थ निकाला जाता है। इसमें निम्न अवधारणाएं का आधार निम्न हैं-
क्लोजर,
सततता,
समानता
समीपता
क्लोजर – इस अवधारणा के अनुसार हमारा दिमाग किसी आब्जेक्ट के अनुपस्थिति या मिस्सिंग भाग को पूर्ण करके उसे पूरे आकार के रूप में देखने की क्षमता रखता है। इस कारण से कोई आकार अपने आप में अधूरा भी है तो फिर मानव मस्तिश्क उसे पूर्ण रूप करके देखने की क्षमता रखता है। उदाहरण के लिए यदि फुटबॉल के पास खिलाड़ी का पैर का कुछ हिस्सा दर्शाया जा रहा है तो फिर मस्तिष्क पूरे पिक्चर की कल्पना करते हुए उसके बारे में अपनी एक समझ बना लेता है
http://mediastudyworld.com/element-of-design-shape/
सततता – सततता उस समय होती है जब कि आंख को एक आब्जेक्ट से होते हुए दूसरे आब्जेक्ट तक सतत तौर पर जाने के लिए बाध्य होती है। इस तरह से मानव मस्तिष्क इस सिद्धान्त के अनुसार विविध डाट को आपस में जोड़ करके उसे एक रेखा एवं अन्य प्रकार के आकार को बनाता है। उदाहरण के लिए दो रेखाएं लाइन एवं तीन रेखाएं त्रिभुज बनाती हैं। इसी प्रकार से यदि
समानता
– मानव मस्तिष्क की यह प्रवृत्ति होती है कि वह एक ही आकार या रंग की वस्तु को एक समूह में देखता है। जिस किसी भी रूप में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में समानता होती है मानव मस्तिष्क उसके आधार पर ही उन सभी वस्तुओं को एक समूह के रूप में देखता है यह समानता रंग आकार रूप पैटर्न आदि के आधार पर हो सकती हैं और जब एक से अधिक वस्तुओं में इस प्रकार की समानता होते हैं तो उन्हें फिर मस्तिष्क एक समूह के रूप में देखता है
पिक्चर.
समीपता – विविध प्वाइंट एवं वस्तुएं जो कि एक दूसरे के समीप होते हैं, वह अन्य की अपेक्षाकृत अधिक दूर रहने वाले वस्तुओं एवं विन्दुओं की तुलना में उसे एक समूह में बना करके देखता है। इस प्रकार की समीपता के लिए जो एलाइनमेन्ट किया जाता है, वह उन वस्तुओं विन्दुओं के किनारे अथवा मध्य विन्दु से लिया जाता है। और उसे ही एक कन्टूर या आउटलाइन के तौर पर देखा जाता है। उससे विन्दुओं को विविध प्रकार से जोड़ करके विभिन्न प्रकार की आकृतियों की कल्पना करता है। इस तरह से इधर उधर बेतरतीब ढंग से खींची गयी रेखाओं से विविध प्रकार के आकार की वस्तुओं की कल्पना करता रहता है।
डिजाइन में जिस्टाल्ट सिद्धान्त का इस्तेमाल करके किसी खास प्रकार का संदेश देने के लिए किया जाता है। जब डिजाइन की बात की जाती है तो उस स्थिति में डिजाइन के तत्व एवं नकारात्मक स्पेस दो महत्वपूर्ण समूह उभर कर सामने आते हैं । आधारभूत फॉर्म जिससे कि हम इस्तेमाल करते हैं वह बिंदु है काल्पनिक बिंदु है जिसे की उसी के साथ उसका सहोदर डॉट है । पॉइंट /डॉट एवं लाइन दो अलग-अलग तरीके से गुण व्यक्त करते हैं एवं कार्य करते हैं सच कहा जाए तो अन्य सभी प्रकार के आकार इन्हीं दोनों पर ही निर्भर करते हैं और वे अपने आप में ही समाहित किए रहते हैं और वे इन दोनों के मूलभूत विशेषताओं को भी व्यक्त करते हैं