Telepathy communication is one special kinds of communication .This article discusses some important aspects of telepathy communication
टेलीपैथी संचार
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सामान्य तौर पर संचार प्रक्रिया के अंतर्गत हम अपने पांच इंद्रियों का ही विशेषतौर पर इस्तेमाल करते हैं। इसमें भी सामान्य सूचना जानकारी पाने के संदर्भ में आंख और कान का ही व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है। मुंह का इस्तेमाल बोलने के लिए किया जाता है। किन्तु संदेशष ग्रहण करने का कार्य इन पाॅच इन्द्रियों द्वारा ही किया जाता है। किसी भी प्रकार के संदेश को यदि दूर तक प्रेषित करना रहता है तो उस समय विभिन्न प्रकार के संचार उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। वे एक प्रकार से माध्यम का कार्य करते है। संदेशों को ग्रहण करने हेतु देखने के लिए आंख एवं सुनने हेतु कान का ही प्रयुक्त होते हैं। कुछ सन्दर्भो में आवश्यकतानुसार हम संदेश पाने के लिए सूॅघने ,स्वाद , एवं स्पर्श का कार्य क्रमशः नाक, जीभ एवं त्वचा से करते है। कई बार इन इन्द्रियों की भूमिका संदेश सम्प्रेषण कार्य में अति महत्वपूर्ण भी होती हैं। किन्तु यही समझा जाता है कि शरीर द्वारा अन्य ढंग से किसी प्रकार संचार प्रक्रिया में नियमित तौर पर भाग नही लिया जाता है।
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किंतु संचार का एक और तौर तरीका टेलीपैथी भी है। इसे वैज्ञानिक भाषा में छठी इन्द्रिय या अतीन्द्रिय ज्ञान या एक्स्टा सेन्सरी परसेप्शन को नाम दिया गया है। इसके अंतर्गत मनुष्य के सामान्य पांच इंद्रियों से परे हटकर के संचार प्रक्रिया की जाती है। संचार का यह तरीका नॉनवर्बल ढंग से किया जाता है, जिसके अंतर्गत कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के विचार को दूसरे व्यक्ति तक भेजने के संदर्भ में सोचता है तो फिर दूसरा व्यक्ति उसी विचार को ग्रहण करता है। इस प्रकार के संचार प्रक्रिया जनसामान्य के बीच में सामान्य रूप से तो नहीं होती है, किंतु बहुत से लोगों को इस संदर्भ में आधे अधूरे रूप में कुछ अनुभूतियां अवश्य मिलती रहती हैं। यह इस बात का परिचायक है कि मनुष्य द्वारा अपनी पाॅचों इन्द्रियों के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार से कई बार ऐसा होता है कि जब हम किसी के बारे में सोच रहे होते हैं, उसी समय उसका किसी रूप में संदेश आता है अथवा उसका फोन आता है। कभी-कभी घर, कार्यालय आदि जगहों पर जब कभी किसी व्यक्ति के बारे में चर्चा की जा रही होती है, उसी समय वह व्यक्ति सामने पहुॅच जाता है। इसी प्रकार से हम भी जब किसी को फोन करते हैं तो वह कई बार इस बात को कहता है कि हम अभी जस्ट आपको याद कर रहे थे। इस तरह के विविध अनुभव हमारे अपने जीवन बहुत सामान्यतौर पर होते हैं
What is telepathy communication ?
संचार के इस तौर तरीके को टेलीपैथी संचार के माध्यम से स्पष्ट करने का प्रयास किया जाता है। वास्तव में हमारा मस्तिष्क नर्व से विद्युत तरंगों के रूप में संकेतों को प्रेषित करता है। यही टेलीपैथी का मूलाधार है। किन्तु संप्रेषण एवं सन्देष के ग्रहण करने की यह प्रक्रिया एवं क्षमता भिन्न भिन्न व्यक्तियों में भिन्न भिन्न होती है। इसी प्रकार से मस्तिष्क द्वारा किसी संदेश को इनकोड एवं डिकोड करने के बारे में अभी कोई बहुत सही एवं स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नही है। इसलिए इस प्रक्रिया के बारे में बहुत ही सीमित जानकारी है। किन्तु इस सम्बन्ध में एवं इसके विविध पक्षों पर शोध जारी है।
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टेलीपैथी का उपयोग उस समय में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है, जब लोगों के पास किसी अन्य प्रकार के संचार के साधन नहीं होते है और लोगों को यह ज्ञात नहीं होता है कि वे अपनी बात को कहीं पर कैसे पहुंचाएं। कई बार हम किसी से बात करना चाहते हैं, किंतु विभिन्न कारणों से हम अपने संदेश को उन तक नहीं पहुंचा पाते हैं। ऐसी स्थिति में हमारे लिए संचार का यह बहुत ही महत्वपूर्ण साधन के तौर पर हो सकता है। संभव रहा हो कि पहले कभी यह टेलीपैथी संचार सम्प्रेषण प्रक्रिया बहुत ही प्रचलित रही हो। किन्तु वर्तमान में यह फिलहाल प्रचलन में तो बिल्कुल ही नही है। इसके बारे में वैज्ञानिक ढंग से किसी प्रकार का कोई स्पष्ट स्थापित साक्ष्य भी नही मिल सका है।
telepathy communication is network communication
फिलहाल टेलीपैथी एक मानसिक टेलीफोन नेटवर्क की तरह है जो कि हमें इस ब्रहमांड के हर किसी वस्तु से जोड़ता है। जितना अधिक व्यक्ति टेलीपैथी की दिषा में आगे बढ़ता है, वह उतना ही अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शकों और पूर्वजों के संदेश, और आपके जीवन में घटने वाली घटनाओं एवं संयोगों को ध्यान देना करना शुरू कर देता है। ऐसा माना जाता है कि यदि व्यक्ति संवाद करने के इस तरीके का उपयोग कर सकें, तो फिर उसका जीवन एवं रिश्ते काफी बदल सकते हैं। फिलहाल यह एक संभावना के तौर पर ही कहा जाता है।
How to make telepathy communication
टेलीपैथी के बारे में यह माना जाता है कि यह है किसी भी व्यक्ति द्वारा अभ्यास करके विकसित किया जा सकता है। हममें से प्रत्येक व्यक्ति अपने विचार संदेश को किसी दूसरे व्यक्ति तक भेजने के लिए सक्षम हो सकता है। किंतु सामान्य तौर पर इसके प्रति किसी भी प्रकार की कोई सजगता नहीं होती है और लोगों की यह धारणा होती है कि इस प्रकार के संदेश संप्रेषण की प्रक्रिया उनके बस की बात नहीं है। जब कभी भी किसी व्यक्ति को टेलीपैथी संबंधी किसी भी प्रकार की कोई अनुभूति होती है तो वह एक प्रकार से अनजाने में ही होती है। उसके प्रति वह बहुत ही चेतन मन से जानकारी समझ नही होती है और इसे जानने के लिए किसी प्रकार का कोई प्रयास नहीं करते हैं।
किंतु यह माना जाने लगा है कि अन्य प्रकार की कुशलताओं की तरह ही टेलीपैथी की कुशलता भी व्यक्ति द्वारा विकसित की जा सकती है। यदि कोई व्यक्ति इस संदर्भ में कोई अभ्यास करना चाहता है तो उसको सर्वप्रथम अपने किसी ने नजदीकी संबंधी के साथ ऐसा प्रयास करना चाहिए, क्योंकि वह पहले से ही उससे जुड़ा हुआ रहता है और उस स्थिति में टेलीपैथी अच्छे तरीके से कार्य करता है । इस प्रकार से अपने घर परिवार के नाते, रिश्तेदार, सगे संबंधी के साथ टेलीपैथी करना कहीं ज्यादा आसान होता है क्योंकि इन लोगों के बीच अनजाने में टेलीपैथी होती रहती है।
टेलीपैथी संचार हेतु एक ध्यान की स्थिति में बैठने एवं जिस व्यक्ति से सम्पर्क करना रहता है, उसकी कल्पना करना रहता है कि वह सामने बैठा या खड़ा हैं, इसके लिए फोटो आदि के उपयोग की भी बात कही जाती है। इस दौरान संदेश भावना को लेकर उसे एक ऊर्जा की एक अवस्था के रूप में देखनो के लिए कहा जाता जो उनके पास जा सकती है। टेलीपैथिक संदेश भेजने के संदर्भ में यह भी कहा जाता है कि सोने जाने से पहले स्वयं से एक सपने के टेलीपैथिक कनेक्शन को बढ़ाने के लिए अपने उच्च स्व से उनकी चेतना को ‘‘जाने‘‘ के लिए कहें और एक संदेश दें। अपने विचारों और मन की अवस्थाओं के माध्यम से किसी को संदेश भेजना शुरू करते हैं । टेलीपैथिक संचार करने के सन्दर्भ में विभिन्न प्रकार के जिन तौर तरीकों का भी जिक्र किया गया है, इसे बहुत ही चरणबद्ध तरीके से एवं धैर्यपूर्वक नियमित तौर पर अभ्यास करने की आवश्यकता होती है। कुछ लोगों का दावा रहता है कि वे इसमें सफल हुए है। किन्तु अभी तो यह व्यावहारिक दुनिया एवं अध्यात्म की दुनिया के बीच घूम तहा है।
वैसे अभी तक किसी भी वैज्ञानिक साक्ष्य के अभाव में, टेलीपैथी को परामनोवैज्ञानिक घटना के दायरे में माना जाता रहा है, जिसे अक्सर विचार से हटा दिया जाता है। इसे प्रायः एक कोरी कल्पना या एक पुष्टिकरण पूर्वाग्रह या यहां तक कि मनोगत के परिणाम के साथ जोड़ दिया जाता है। किंतु इस संदर्भ में वैज्ञानिक तरीके से जो शोध किए जा रहे हैं उसके काफी सकारात्मक परिणाम भी देख रहे हैं और टेलीपैथी के पीछे जो कुछ भी वैज्ञानिक पहलू हैं, वह धीरे-धीरे उभरकर के सामने भी आ रहे हैं ।
Study in telepathy communication
अभी तक टेलीपैथी के बारे में जो शोध किये गये हैं वे टेलीपैथी के सन्दर्भ में बहुत ही छोटे कदम के तौर पर कहे जा सकते है। इसको विकसित होने में अभी दशकों का समय लग सकता है। इस प्रकार के संचार का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच के दूरसंचार के दौरान में कम्प्यूटर, मोबाइल जैसे उपकरणों का हटाना हो सकता है, जिससे कि मस्तिष्क सीधे लोगों से सम्पर्क करके संवाद कर सके। किन्तु यह अभी एक बहुत दूर की बात है। मस्तिष्क के बीच किये जाने वाला संचार विविध प्रकार के लोगों के बीच किया जा सकता है। उदाहरण के लिए व्यापारी इस प्रकार के संदेश सम्प्रेषण का इस्तेमाल अपने व्यापारिक क्रिया कलापों को करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है। इसी प्रकार से अन्य समूहों के लोगों के बीच तत्काल संचार किया जा सकता है। किन्तु टेलीपैथी संचार के बारे में अभी विविध प्रकार के प्रश्न हैं, जिनका कि उत्तर अभी ढुढ़ना है।