Speed of speech/conversation play a very important role in effective communication. This article discusses some important aspects of it
किस गति से हम बोलते हैं Speed of speech /conversation
हम एक निश्चित गति से संवाद या बातचीत करते हैं । इसका आशय यह है कि एक निश्चित समय में बोले गए शब्दों की संख्या भी लगभग निश्चित ही रहती है। हममें से बहुत से कम लोगों को यह ज्ञात है कि जब हम कोई बातचीत करते हैं तो कुल मिलाकर के एक दिए गए अवधि में कितने शब्द बोलते हैं या एक दिन में कितने शब्द बोलते एवं सुनते है। किंतु एक प्रभावी संचार करने के लिए इसके बारे में एक समझ होनी अति आवश्यक है । आगे बातचीत करने के विविध पक्षों पर चर्चा की जा रही है।
जब हम बातचीत की गति की बात करते हैं तो सामान्य तौर पर यह पाया जाता है कि व्यक्ति एक सेकंड में 3 शब्द औसत रूप से बोलता है, किंतु जब शब्द बहुत छोटे होते हैं तो वह 3 शब्द से ज्यादा भी हो सकते हैं । यदि शब्द बड़े हैं तो वह तीन शब्द से कम अर्थात् एक या दो शब्द भी हो सकते हैं। किंतु सामान्य गति में औसत रूप से एक सेकंड में व्यक्ति द्वारा तीन शब्द बोले जाते हैं। अब वह व्यक्ति जिसे शीघ्रता से बोलने की आदत होती है, वे 3 शब्द से अधिक भी बोलते हैं । वहीं पर वे व्यक्ति जो धीरे.धीरे बोलते हैं, वे तीन शब्द से कम शब्द बोलते हैं। जब हम कोई बात कहते हैं तो उसके भाव के ध्यान में रख करके भी बोलते हैं और आवश्यकतानुसार उचित विराम भी लेते हैं। इसलिए हम यह कह सकते हैं कि एक मिनट में अर्थात 60 सेकंड में व्यक्ति औसतन 120 से लेकर के 150 या 160 शब्द बोलता है । इस प्रकार यदि कोई व्यक्ति कहीं पर बातचीत कर रहा है और वह लगातार बोल रहा है तो एक मिनट में वह 120 से लेकर 150 शब्द और 10 मिनट में 1200 से लेकर के 1500 शब्द बोलता है।
तेजी से बोलने के लिए हमें फेफड़े में पूरी हवा भर करके अधिक दाब डाल करके बोलना रहता है । यह कार्य बच्चे एवं युवा अधिक आसानी से कर सकते हैं। इसलिए वे आवश्यकतानुसार तेज गति से बोल लेते हैं। किंतु बुजुर्ग व्यक्ति के लिए ऐसा देर तक करना आसान नहीं होता है । इसलिए वे धीरे.धीरे बोलते हैं। इस प्रकार बोले गए शब्दों की संख्या उम्र के हिसाब से भी बदलती जाती है । बहुत ही बुजुर्ग व्यक्ति के बोलने की दर बहुत कम हो जाती है क्योंकि बोलने में हमें ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है ।
विषय एवं भाव के अनुसार गति Speed of speech according subject and feeling
बोलने के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि विषय एवं भाव के अनुसार व्यक्त की बोलने की गति तेज और धीमी होती है। दुख और उत्साहीन के पलों में व्यक्ति धीमी आवाज के साथ धीमी गति से भी बोलता है और उस स्थिति में प्रति मिनट बोले गए शब्दों के संख्या घट जाती है। उत्साह में व्यक्ति तेज गति से बोलता है। बोलने की गति व्यक्ति की स्थिति के अनुसार भी निर्भर करता है। यदि कम समय में अधिक बातें कहनी है तो उस स्थिति में वह अपने बोलने की गति को बढ़ा देता है। आज कल टीवी पर बहुत तेज गति से समाचार प्रस्तुत किये जाते है। किंतु जब ऐसी कोई मजबूरी नही है तो फिर वह सहज होकर के बोलता है। बहुत ही आराम एवं शान्त भाव या आलस की स्थिति में होने पर व्यक्ति धीमी गति से बोलता है।
स्पीच गति के अनुसार शब्द संख्या Word number according to Speed of speech
अतः जब कोई किसी व्यक्ति को कहीं पर 10 मिनट का भाषण देना है तो उस स्थिति में उसके पास 12 सौ से लेकर के 15 सौ शब्द बोलने के लिए अवश्य होने चाहिए। इसी तरह से यदि उसे 20 मिनट का लेक्चर देना है तो फिर ढाई हजार से लेकर के तीन हजार शब्दों की विषय सामग्री उसके पास होनी चाहिए। एक कक्षा में सतत् रूप व्याख्यान देने वाला शिक्षक 50 मिनट में छः हजार से ले करके साढ़े सात हजार शब्द बोलता है।
स्पीच गति के अनुसार टाइप पेज संख्या Page number according to Speed of speech
यदि एक पेज पर 300 शब्द टाइप किए जाते हैं तो उस समय 10 मिनट के लिए चार से लेकर पॉच टाइप किये गये पेज होने चाहिए। इसी प्रकार से 20 मिनट की स्पीच देने के लिए टाइप किये गये आठ से ले करके दस पेज होने चाहिए। किन्तु जब व्यक्ति पढ़ करके कोई बात प्रस्तुत करता है तो यह शब्द संख्या एवं पेज संख्या उसके पढ़ने की कुशलता के अनुुसार ही होती है। यदि पढ़कर के व्यक्ति बोलता है, तो उस समय सामान्य तौर पर उसकी गति धीमी हो जाती है। किन्तु प्रति पेज शब्द संख्या बदलने पर कुल पेजों की संख्या भी बदल जाती है।
भिन्न भिन्न स्थितियों में स्पीच गति Speed of speech in various situations
बोलने के संदर्भ में कई बातें काफी महत्वपूर्ण है। यदि व्यक्ति 110 शब्द से कम शब्द प्रति मिनट बोलता है तो उस स्थित में उसकी गति धीमी मानी जाती है। बहुत धीमी गति होने पर व्यक्ति को झुॅझलाहट होती है। 120 से 160 शब्द प्रति मिनट सामान्य बातचीत की गति में व्यक्ति सहज महसूस करता है। जब कोई व्यक्ति प्रेजेंटेशन कर रहा होता है, उसे स्थित में 100 से 150 शब्द प्रति मिनट हो सकती है। रेडियो पॉडकास्ट में 150 शब्द प्रति मिनट होती है, जबकि तेज गति से होने वाले खेल आदि की कमेंट्री करते समय उसके गति 250 शब्द मिनट से भी अधिक हो सकती है। व्यावहारिक बात चीत में जब व्यक्ति बहुत तेज बोलता है उस स्थिति में भी श्रोता को परेशानीहोती है। वह बातों को सही से नही समझ पाता है। छोटे बच्चों एवं शिशु से बात चीत में धीमी गति आवश्यक है।
उचित स्पीच गति- Proper Speed of speech
वैसे तो प्रत्येक व्यक्ति की अपनी बोलने की गति होती है। किन्तु आदर्श बोलने की दर विषय संदर्भ और दर्शकों के आधार पर भिन्न भिन्न होती है। लेकिन आम तौर पर लगभग 150 से 160 शब्द प्रति मिनट की बोलने की दर को वक्ताओं के लिए एक सही गति माना जाता है। इसी गति से सामान्य स्थिति में एक वक्ता बोलता है। दर्शकों को बांधे रखने के लिए यह सही माना जाता़ है।
लेकिन इतनी तेज़ नहीं होनी चाहिए कि उसे समझना मुश्किल हो जाए। बोल चाल की गति विषय के भाव और स्थिति के अनुरूप होनी चाहिए। उदाहरण के लिए यदि वक्ता एक व्याख्यान दे रहा हैं तो वह यह सुनिश्चित करने के लिए थोड़ा धीमा बोल सकता हैं जिससे कि श्रोताओं को कोई बात नोट करने का समय मिल सके। जटिल बातो को थोड़ा धीमी गति से कहते हैं। तथ्यात्मक एवं विन्दुवार बातों को भी थोड़ी धीमी गति से प्रस्तुत करते है।
दूसरी ओर, यदि वक्ता को किसी आयोजन में बातों को एक तेज़.तर्रार ढंग से प्रस्तुति करना है , तो वह दर्शकों को जोड़े रखने के लिए थोड़ी तेज़ी से बोल सकता हैं। धीरे धीरे और स्पष्ट रूप से बोलने से वक्ता की अभिव्यक्ति अधिक स्पष्ट होती है और श्रोता वक्ता के प्रस्तुति में अधिक व्यस्त रहते हैं । उन्हे सोचना विचारने का भी समय मिल जाता है। व्यक्ति द्वारा बोलने के दौरान इस्तेमाल किये जाने वाले बॉडी लैंग्वेज के अनुसार भी शब्द संख्या बदलती रहती है। इसी प्रकार से श्रोताओं की भागीदारी एवं अन्य कारक भी इसे प्रभावित करते हैं।
कितना शब्द हम सुनते हैं –
जो कुछ हम बोलते हैं उसे दूसरे लोग सुनते है। इसी प्रकार से, दूसरे लोग जो कुछ कहते हैं उसे हम सुनते हैं। इस प्रकार किसी कार्यक्रम सुनने के सन्दर्भ में अब हम आसानी से अन्दाजा लगा सकते हैं कि दिये गये कार्यक्रम की अवधि में लगभग कितने शब्द सुने जाते है। यह कार्यक्रम के भाव, विषय, व्यक्ति आदि के अनुसार न्यूनतम एवं अधिकतम शब्दों का हो सकता है। हमारे सुनने की भी अपनी एक सीमा होती है। अधिक गति होने पर मस्तिष्क इसे प्रोसेस नही कर पाता है।
बोलने की गति को सुधारना Improvement in Speed of speech-
सही वक्ता के लिए यह आवश्यक है कि अन्य बातों के अतिरिक्त उसके बोलने की गति भी सही हो। टाइमर सेट करके और आवंटित समय में अधिक से अधिक शब्दों को बोलने की कोशिश करके तेज गति से बोलने का अभ्यास किया जाता हैं। वक्ता अपने आप को बोलते हुए रिकॉर्ड करके फिर उसे सुन कर वह उन क्षेत्रों की पहचान सकता है कि कहॉं पर उसकी प्रस्तुति कमजोर होती हैं। आज कल गति और डिलीवरी को बेहतर बनाने में मदद के लिए पब्लिक स्पीकिंग कोर्स उपलब्ध कराया जाने लगा है । स्पष्ट और आत्मविश्वास से भरी आवाज को सही गति में बोलने के लिए अवश्य कोशिश करनी चाहिए। किसी भी वक्ता को सही गति में बातों को प्रस्तुत करने के उसकी एक अलग प्रभाव एवं सौन्दर्य होता है।
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