December 22, 2024

Pakistani media बदल गये हैं पाकिस्तानी मीडिया के सुर

Pakistani media has always spoken against India. But now they have changed their voice. This article discusses about this change .

Pakistani media बदल गये पाकिस्तानी मीडिया के सुर


मीडिया समाज के सत्य को बताता है और उसका मार्गदर्शन करता है। किन्तु कई बार वह विभिन्न कारणों से अपने दायित्वों का पालन नही करता है और खुद गुमराह होता है और समाज को भी गुमराह करता है। यही कार्य एक लम्बे समय से पाकिस्तानी मीडिया अपने देश में करता रहा है। कम से कम भारत के सन्दर्भ में पाकिस्तानी मीडिया का यही सच है। आरम्भ से ही सभी पाकिस्तानी मीडिया भारत को गाली देते नही थकते थे और पाकिस्तानी जनता के समक्ष भारत के बारे में हमेशा झूठ का पुलिन्दा को प्रस्तुत करते रहे। किन्तु आज पाकिस्तान के बहुत से मीडिया के सुर काफी बदल गये हैं। पाकिस्तानी सोशल मीडिया Pakistani social media को देख सुन करके तो यही लगता है।

BBC Documentary भारत का विरोध करना बीबीसी की पुरानी आदत


आज पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर भारत से दोस्ती करने के पक्ष में दिन रात आवाजे आ रही हैं। वे भारत से संवाद करना चाह रहे हैं । विभिन्न क्षेत्रों के पाकिस्तानी विशेषज्ञ, जो सब कभी मिल करके हर मामले में भारत को जिम्मेदार ठहराते थे और अपनी सरकार के हर गलत कार्यो का सर्वदा समर्थन करते थे, वे अब कहीं अधिक सत्य वास्तविक बातें बोलने के लिए मजबूर है। इसका कारण यह नही है कि वे अब वास्तविकता को कहीं अधिक सही ढंग से पहचानने लगे हैं, वरन् पाकिस्तान देश की बहुत खराब आर्थिक स्थिति एवं सोशल मीडिया में दिखाये जाने वास्तविक तथ्यों के कारण उन पर अब सत्य कहने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। Selfie photography सेल्फी फोटोग्राफी में बरतें सावधानी


यह एक वास्तविकता है कि प्रत्येक देश के जनमाध्यम विभिन्न संदर्भों में अपने देश का पक्ष लेते हैं। यह बात विकसित देशों की मीडिया के बारे में भी सत्य है। किन्तु यह पक्ष लेते जब वे अन्धें हो करके सत्ता के गठबन्धन का एक महत्वपूर्ण अंग बन जाते हैं, तो इस समर्थन से देश का फायदे के बजाय नुकसान ही होता है। यह बात पाकिस्तान के जनमाध्यमों के सन्दर्भ में काफी अधिक सत्य साबित हो रहा है।


किन्तु आज पाकिस्तान में सब लोग दूसरे ढंग से बातें कर रहे है। वे इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि 1947 में भारत एवं पाकिस्तान विभाजन के समय एक ही स्थिति से दोनों देश चलना आरम्भ किये, फिर ऐसी क्या बात हुई कि आज भारत विकास के मार्ग पर काफी आगे चला गया और पाकिस्तान आर्थिक तौर पर इतनी बदहाल स्थिति में पहुॅंच गया। इसके लिए वे कहीं न कही अपने देश के उन नेताओं और सेना को मान रहे है जो कि अपने स्वार्थों के लिए एक लम्बे समय से उन्हे विभिन्न प्रकार के सपने दिखाते रहे और भारत को एक दुश्मन के तौर पर हमेशा प्रस्तुत करते रहे। किंतु विकास के लिए उन्हें जो करना चाहिए था वह उसे वे अपने देश के लिए नहीं किए। वे यह भी समझ रहे हैं कि भारत से दुश्मनी पाकिस्तान के लिए बहुत ही घातक साबित हुआ है।

Hindi and Narendra Modi हिंदी एवं नरेंद्र मोदी


यदि पाकिस्तानी मीडिया के सुर बदले हैं, तो इसके पीछे उसकी बदहाल आर्थिक स्थिति है जो कि आज बहुत ही खराब हालत में चली गयी है। इस कारण वे अब आत्मनिरीक्षण करने लगे है। इसी के साथ इस बदलाव के पीछे सोशल मीडिया की एक बहुत बड़ी भूमिका है। आज भारत एवं पाकिस्तान के बड़ी संख्या मे ऐसे युवा पत्रकार हो गए हैं जो कि पाकिस्तान की जनता को वह सत्य दिखा रहे हैं जिससे वे अभी तक पूरी तरह से वंचित रहे हैं। उन्हे भारत पाकिस्तान युद्ध में कौन जीता और कौन हारा इस बात की भी सच्चाई का पता नही था। अब वे जैसे जैसे इस सत्य को जान रहे हैं, उसी के साथ उनके विचार बदल रहे हैं।

पाकिस्तानी जनता सूचनाओं के लिए एक लंबे समय तक सरकार नियंत्रित माध्यमों एवं पाकिस्तान के समाचार पत्रों पर ही निर्भर थी। सोशल मीडिया के इस जमाने में बाहर से भी सभी प्रकार की सूचनाए उन तक पहुॅंचने लगी है। उन्हें विविध प्रकार की बातों को देखने सुनने का अवसर हैं। इसलिए मीडिया का बुलेट सिद्धान्त, जिसमें यह माना जाता रहा है कि मीडिया जो कुछ कह देती है, उसे लोग सीधे स्वीकार कर लेते है, किन्तु अब काम नही कर रहा है। आज लोग मीडिया में कही जाने वाली बातों का स्वयं भी विश्लेषण करते हैं।

वर्तमान में काफी बड़ी संख्या में ऐसे पत्रकार एवं जनता भी सामने आने लगे हैं जो कि कश्मीर पर पाकिस्तान सरकार के रूख को भी यही मानते हैं कि यह उन्हे गुमराह करने के लिए किया गया जाता है। वे यह मानते है कि कश्मीर विवाद पाकिस्तान के नेताओं ने अपनी राजनीतिक रोटी सेकने एवं पाकिस्तानी जनता का ध्यान बाॅटने के लिए किया जाता है। अभी वे बहुत सीधे तौर पर तो नही, किन्तु अप्रत्यक्ष तौर पर इस बात को भी कहने वाले हैं कि भारत पाकिस्तान का विभाजन करने से उन्हे हमें क्या मिला। कुछ युवा पत्रकार तो भारत केन्द्रित ब्लाॅग एवं अन्य प्रकार के न्यूज पोर्टल भी संचालित कर रहे है जो कि भारत एवं पाकिस्तान के बीच शत्रुतापूर्ण के बजाय दोस्ताना सम्बन्धों पर कहीं अधिक जोर दे रहा है।

ऐसा नही कि पाकिस्तान में प्रत्येक पहले भी नागरिक भारत के प्रति ऐसा नकारात्मक नजरिया रखता रहा है। वहां पर भी बहुत बड़ी संख्या में ऐसे नागरिक रहे हैं जो कि भारत पाकिस्तान के बीच अच्छे सम्बन्धों के सदा से हिमायती रहे हैं। किन्तु मीडिया के साइलेंस थियरी के अनुसार ऐसे लोग अपनी बातों को नही कहते रहे हैं, क्योंकि वे सबसे अलग थलग पड़ जाने का भय रहता रहा। किन्तु आज बड़ी संख्या में लोग अपनी बातें एवं विचार खुल करके कह रहे हैं। कभी मोदी का धुर विरोध करने वाले पाकिस्तानियों में से बहुत से नागरिक पाकिस्तानी नरेन्द्र मोदी जैसा ही नेता अपने देश में भी चाह रहे है।

Pakistani social media के अनुसार ऐसा भी नही है कि अब पाकिस्तान में सभी जनता के विचार बिल्कुल बदल गये हैं। आज भी बहुत से पाकिस्तानी इसी सोशल मीडिया पर भारत के विरोध में भी काफी बातें कहते है। सोशल मीडिया पर ही ऐसे भी लगातार संदेश दिये जा रहे हैं । किन्तु सोशल मीडिया में जो बदलाव हुए हैं , वह बहुत ही महत्वपूर्ण है।

मीडिया का सामाज में अपना एक दायित्व है। जब वह अपने दायित्वों से भटक करके कार्य करती हैं तो समाज के भी भटकने का डर रहता है। किन्तु इससे देश समाज व्यक्ति सबका नुकसान होता है। इसका गलत परिणाम सबको भुगतना पड़ता है। आज पाकिस्तान को यही दुष्परिणाम भुगतना पड़ रहा है। किन्तु यह एक अच्छी बात है कि कुछ लोग इस वास्तविकता को समझने लगे हैं और उन्होने इसके लिए प्रयास करना आरम्भ कर दिया है। इसे एक सकारात्मक कदम के रूप में ही देखा जाना चाहिए।

Pakistani media

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