Noise in communication takes place in several ways. This article describes four kinds of noise in communication
जब हम संचार करते हैं तो हमारी उम्मीद यही रहती है कि हम जो कुछ भी संदेश दे रहे हैं, वह संबंधित व्यक्ति, स्थान तक सही तरीके से उसी रूप में पहुंच जाएं। किंतु संदेश के एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के दौरान विभिन्न प्रकार के ऐसे कारक भी कार्य करते हैं जो कि उसे अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचने में बाधा उत्पन्न करते हैं। इन्हें हम न्वायज या बाधा के रूप में जानते हैं। ये ऐसे कोई भी कारक हैं जो कि संदेश को अपने मूल स्वरूप में स्रोत से श्रोता तक लक्षित स्थान तक पहुंचने में बाधक रूप में कार्य करते हैं।
आदर्श स्थिति में यदि हम यह मान सकते है संदेशअपने मूल स्वरूप में सही प्रकार से गंतव्य तक पहुॅचता है। जब किसी प्रकार की कोई बाधा संदेश संप्रेषण की प्रक्रिया में नहीं होती है तो उस स्थिति में की कोई संदेश अपने मूल स्वरूप में मूल स्थान से चलकर के गंतव्य स्थल तक उसी रूप में पहुंचती है। किंतु यह बहुत ही आदर्श स्थिति है। ऐसा हो पाना संभव नहीं हो पाता है। इस प्रक्रिया में किसी न किसी प्रकार की एक या अधिक बाधा भी उत्पन्न हो जाती हैं। वह संदेश के स्वरूप को बदल देती है। वैसे तो न्वायज के बहुत ही स्वरुप है। किंतु इन्हें सामान्य तौर पर चार भागों में विभाजित करके और स्पष्ट करने का प्रयास किया जाता है। इसे भी पढ़ें Group communication
Physical noise in communication भौतिक बाधाएं – भौतिक न्वायज अथवा बाधा के अंतर्गत वे सभी बाधाएं एवं कार्य आते हैं जो कि भौतिक रूप में उपस्थित होकर के संदेश के गमन को प्रभावित करते हैं। यह श्रोता और वक्ता दोनों से अलग स्तर के बाहर से प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई संदेश संप्रेषित किया जा रहा है तो सिग्नल में किसी तरीके का डिस्टरबेंस होने पर संदेश नही पहुॅच पाता है। इसी प्रकार से स्पष्ट तरीके से लिखावट, धुॅंधले फोन्ट, बहुत ही छोटे आकार के अक्षर का होना, गलत तरीके से लिखावट होना, विज्ञापन का पाप अप होना न्वायज हैं। ये न्वायज नए रूपों में भी यह उत्पन्न हो सकते हैं। इसे भी पढ़ेंDress communication
संचार प्रक्रिया के दौरान संदेश को श्रोता से पाठक तक पहुंचने में अपने स्तर से बाधा उत्पन्न करते हैं। इसके परिणास्वरूप श्रोता को संदेश ग्रहण करने में कठिनाई उत्पन्न होती है। इस तरह की बाधाओं को दूर करने के लिए हमें उन सभी कारकों को समाप्त करना पड़ता है जिनके कारण से संदेश संप्रेषण और प्राप्त करने में दिक्कतें होती हैं। यदि हर प्रकार की भौतिक बाधा समाप्त कर दी जाए तो फिर संदेश स्रोत से जिस रूप में उत्पन्न होता है, वह श्रोता तक उसी रूप में पहुंचता है।
Physiological noise in communication शारीरिक बाधाएं – कुशलतापूर्वक संचार करने के लिए एक स्वस्थ शरीर और मानसिक स्तर पर स्वस्थ होना आवश्यक है। कई बार संदेश संप्रेषण और संदेशग्राही में विभिन्न प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याएं होती हैं और इन समस्याओं के कारण से भी संदेश के संप्रेषण प्रक्रिया को प्रभावित होती है। यदि सन्देष प्रेषक अथवा संदेशग्राही में देखने या सुनने की समस्या है तो उस स्थिति में वह संदेश को सही प्रकार से देख सुन नहीं पाता है। वह एक संदेश बाधा के रूप में बन जाता है।
इसी प्रकार से याददाश्त का कमजोर होने पर पक्ष में बातों को समझने में दिक्कत उत्पन्न होती है। यदि व्यक्ति जो कुछ भी कह रहा है, उसे वह सही प्रकार से उच्चारित करके नहीं बता रहा है या बहुत तेजी के साथ बोल रहा है या बहुत धीमी गति से बोल रहा है तो उस स्थिति में भी संदेश प्रभावी तरीके से अपने गंतव्य स्थान पर नहीं पहुंच पाता है। शारीरिक बाधाएं विविध रूपों में होती है। इस कारण से संचार प्रक्रिया प्रभावित होती है।
Psychological noise in communication मनोवैज्ञानिक बाधाएं – संचार संप्रेषण में विविध प्रकार की मनोवैज्ञानिक बाधाएं भी अपने स्तर से नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। यह विविध रूपों में होती है। यदि कोई व्यक्ति संचार संप्रेषण प्रक्रिया के अंतर्गत किसी बात, विचार को पूर्वाग्रहहित हो करके देखता, सुनता है तो फिर इस प्रकार की मनोवैज्ञानिक बाधाएं होती हैं। व्यक्ति की अपनी मानसिक स्थिति भी संचार प्रक्रिया को प्रभावित करती है। बहुत से लोग एकाग्रचित्त होकर के बात को सुन या देख नही पाते हैं। उस स्थिति में भी संचार बाधित होता है। अत्यधिक भावनात्मक स्थिति में रहने पर भी संचार में बाधाएं उत्पन्न होती हैं। व्यक्ति बातों को खुले मन से नही सुन या देख रहा है तो भी संचार में बाधाएं होती हैं। मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक बाधाओं के अन्य कई पहलू भी होते हैं। ये सारे पहलूू किसी न किसी तरीके से संचार प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं और एक बाधा के रूप में कार्य करते हैं।
Semantic noise in communication अर्थ संबंधी बाधाएं – संचार प्रक्रिया के अंतर्गत एक बहुत बड़ी बाधा संचार में जो कुछ भी बातें कही गई रहती हैं, उसको सही तरीके से और सही परिप्रेक्ष्य में न समझना के कारण से भी होता है। उदाहरण के लिए यदि वक्ता और श्रोता के बीच में भाषा के स्तर पर भिन्नता है, तो वह दिये जाने वाले सन्देष को सही प्रकार से नहीं समझ सकता है। एक सीमा तक ही वह बातों को समझ पाता है। इसी प्रकार यदि ऐसे कठिन पदों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनके अर्थ को श्रोता नहीं जानता है तो इस स्थिति में भी संचार में बाधा उत्पन्न होती है। फिर कई बार बहुत शब्द जिन अर्थ में इस्तेमाल किये गये रहते हैं, उससे परे हट करके श्रोता उनके अर्थ को समझता है तो भी संदेश में बाधा उत्पन्न होती है।
बहुत से शब्द किसी एक क्षेत्र में किसी अर्थ में इस्तेमाल किए जाते हैं, दूसरे क्षेत्र में दूसरे अर्थ में इस्तेमाल किए जाते हैं। यदि एक व्यक्ति अपने क्षेत्र को ध्यान में रखकर के उस शब्द का इस्तेमाल किया है और दूसरा व्यक्ति अपने क्षेत्र विशेष को ध्यान में रखकर के उसके अर्थ को समझ रहा है तो फिर संदेश में बाधा उत्पन्न होती है।
इस प्रकार से हम देखते हैं कि संचार प्रक्रिया में संदेश एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने और दोनों व्यक्तियों को उसको सही तरीके से समझने की प्रक्रिया में विभिन्न प्रकार की बाधाएं भी होते हैं। ये बाधाएं जितनी अधिक होती हैं, संचार अपने मूल स्वरूप से भिन्न एवं उतना ही कमजोर या कम प्रभावी होता है। अतः सही प्रकार से संचार करने के लिए यह आवश्यक है कि इन सभी प्रकार की बाधाओं को यथासंभव दूर करने का प्रयास किया जाए और फिर संचार किया जाए।