Linear model of communication is one important model. This article discusses various aspects of linear model of communication.
Linear model of communication संचार का रेखीय मॉडल
संचार प्रक्रिया सन्दर्भ में जो विभिन्न मॉडल प्रस्तुत किए गए हैं, उन्हें कुछ मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है। इन्हीं में से एक विभाजन लिनियर मॉडल आफ कम्युनिकेशन या संचार का रेखीय माडल के रूप में किया गया है। इसे हम संचार का रेखीय मॉडल कहते हैं। यहाॅं हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि संचार के रेखीय की मॉडल की मुख्य बातें क्या है और इसकी क्या खामियां हैं और वर्तमान परिपेक्ष में इस मॉडल के क्या स्थिति है। आगे हम संचार के रेखी मॉडल के बारे में चर्चा करते हैं ।
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संचार के रेखीय माॅडल के मुख्य प्रवर्तक डेविड के बर्लो रहे। उन्होंने खुद अपना एक मॉडल एसएमसीआर मॉडल प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने स्रोत, संदेश, चैनल और संदेश ग्राही को शामिल किया था।
पहले रेखीय माडल की मुख्य बातों की चर्चा करते हैं। संचार के रेखीय मॉडल में यह माना जाता है कि संचार एक दिशा में ही आगे बढ़ने वाली प्रक्रिया है। इसमें जो संदेश होता है, वह रिपोर्ट करके चैनल द्वारा प्रेषित किया जाता है। उसने बाधा अथवा noise की कल्पना की गई है । किंतु इसमें फीडबैक एवं रिस्पांस की कोई कल्पना नहीं की गई है। इस प्रकार ऐसे सभी मॉडल में जो संदेश प्रेषित करने वाला होता है, उसे कहीं अधिक प्रमुखता दी गई है , वहीं मुख्य व्यक्ति के रूप में देखा जाता है।
बहुत ही सरल शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि संचार प्रक्रिया एक रेखीय रूप में चलता है। यह अपनी दिशा में आगे बढ़ता है। इसमें संदेश को प्रेषित करने वाला प्रेषक संदेश को संदेश ग्राही तक अथवा श्रोता तक भेजता है। संदेश भेजने वाला ही संदेश का स्रोत होता है।
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यदि हम संचार के रेखीय मॉडल के विभिन्न घटकों के बारे में चर्चा करें तो हम देखते हैं कि इसमें संदेश देने वाला व्यक्ति होता है जो कि संदेश को इनकोड या कूटबद्ध करके उसे प्रेषित करता है। डिकोडिंग के अंतर्गत संदेश को डिकोड किया जाता है।
लीनियर मॉडल में शामिल विभिन्न घटकों की बात करें तो इसमें संचार भेजने वाला व्यक्ति होता है जो कि इनकोड करके संदेश को भेजता है। डिकोडिंग वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत रिसीवर द्वारा चैनल को ध्यान में रखकर सन्देश को समझने योग्य रूप में को डिकोड किया जाता है। संदेश ही वह सूचना है जिसे की संदेशदाता श्रोता तक भेजता है। हम कह सकते है कि डिकोडिंग वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत इनकोड किए गए संदेश को समझने योग्य संदेश में परिवर्तित किया जाता है। चैनल वह माध्यम है जिससे हो करके संदेश आगे बढ़ता है। रिसीवर वह व्यक्ति है जो संदेश को डिकोड करने के पश्चात प्राप्त करता है। न्वायज अथवा बाधा वे सभी कारक हैं जो कि संदेश को अपने वाॅछिंत स्थान तक पहुंचने में बाधा डालते हैं।
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अरिस्टॉजिल लिनियर मॉडल –
संचार वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए मॉडल लेने मॉडल के अंतर्गत आते हैं । इसमें एरिस्टोटल का मॉडल सर्वोपरि है। यह एक बहुत ही सरल मॉडल है। इसमें वक्ता, संदेश, अवसर, श्रोता एवं प्रभाव शामिल हैं । इस मॉडल में यह बताया गया है कि किसी अवसर पर वक्ता संदेश देता है जिसे श्रोता प्राप्त करते हैं और उन पर प्रभाव होता है।
शैनन वीवर का गणितीय मॉडल
यह माडल तकनीकी संचार अथवा मशीन संचार के संदर्भ में विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है। इसमें यह माना गया है कि यदि कोई संदेश स्रोत से आरंभ होकर के चैनल से होते हुए श्रोता तक जाता है, तो इस दौरान यदि किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं है तो वह सफलतापूर्वक अपने गंतव्य स्थल तक पहुंच जाता है। संचार के इस मूल मॉडल में फीडबैक की कोई कल्पना नहीं की गई है
डेविड के बर्लो माडल
संचार का लीनियर मॉडल के रूप में ही एक अन्य मॉडल डेविड के बर्लो द्वारा भी प्रस्तुत किया गया था। यह रेखीय संचार के संदर्भ में दिया गया मॉडल है। इसमें संचार को विभिन्न कारकों पर निर्भर होते हुए दिखाया गया है। इसमें यह माना गया है कि कोई भी संचार प्रक्रिया संचारकर्ता के कम्युनिकेशन स्किल, नजरिया, ज्ञान और सामाजिक सांस्कृतिक सिस्टम पर निर्भर करता है। इसी प्रकार से यह संचार सन्देषदाता एवं सन्देषग्रहण करने वाले की संचार कुशलता, नजरिया, ज्ञान, सामाजिक सांस्कृतिक पहलूू पर निर्भर करता है ।
संचार का रेखीय मॉडल( linear model of communication ) काफी हद तक संचार प्रक्रिया को स्पष्ट करता है। किंतु कई कारणों से इसकी आलोचना भी की जाती है। इस संचार मॉडल में संचार के आरंभ और अंत की कल्पना की गई है। किंतु संचार एक सतत रूप में चलता रहता है। इस बात का जिक्र इसमें नहीं है। इसी प्रकार से इस मॉडल में फीडबैक की कहीं कोई कल्पना नहीं की गई है। इसके कारण से यह एक अधूरे रूप में देखा जाता है। मास कम्युनिकेशन में रेडियो, टीवी, प्रिंट माध्यम शामिल है। इसमें इसे लागू किया जा सकता है। बहुत ही कम होता है । इसी प्रकार से इसमें संचार के प्रभाव के बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है। यह संपूर्ण संचार प्रक्रिया का सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं आखिरी पहलू होता है।
निष्कर्ष Conclusion
व्यवहारिक जीवन में हम देखते हैं कि अधिकतर संचार एक चक्रीय प्रक्रिया में होता है। इसमें जो संदेश सुनने वाले हैं, उनकी भी पूरी भागीदारी होती है । वर्तमान में जो संचार के नए-नए तकनीक विकसित हो गए हैं, उसने तो संचार को और भी चक्रिय रूप में बना दिया है। इसमें श्रोता और वक्ता दोनों सक्रिय भूमिका निभाते हैं । यह अब यह नहीं होता है कि कोई व्यक्ति सिर्फ संदेश को सुन रहा है । बल्कि उसी समय को संदेश को प्रेषित भी करता रहता है । इस तरीके से संदेश देने वाला और संदेश लेने वाला दोनों को इनकोड और डिकोड दोनों की क्षमता होनी चाहिए । वर्तमान में मशीनों को ध्यान में रख करके तकनीकी क्षमता रखने की आवश्यकता है । इसलिए वर्तमान में रेखीय मॉडल कम उपयुक्त एवं प्रासंगिकता है । इंटरनेट के जमाने में तो यह स्पष्ट ही नहीं होता है कि संदेश को भेजने वाला और प्राप्त करने वाला कौन हैं।
इन सबके बावजूद संचार के रेखीय माडल ( linear model of communication ) अपना एक अलग महत्व है । इसने संचार प्रक्रिया को अपने तरीके से स्पष्ट करने का प्रयास किया है और संचार के कुछ ऐसे तौर तरीके हैं जहाॅं पर कि यह माडल सत्य होता दिखता है उनके लिए पूरी तरीके से लागू किया जा सकता है ।