Government has given acceptance to form National Research Foundation NRF which will boost research activities in country.
राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान (एनआरएफ) की स्थापना
देष में शोध को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने अब एक नयी पहल की है। उसने राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान अर्थात एनआरएफ NRF की स्थापना को सहमति दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित विधेयक के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है। इसके माध्यम से शोध कार्य के लिए अगले 5 साल अर्थात् 2023 से 2028 तक ₹50 हजार करोड़ खर्च किए जाएंगे।
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सरकार इस सन्दर्भ में आवष्यक विधेयक को संसद के आगामी सत्र में पेश करेगी। यह विधेयक साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड एंक्ट 2008 का स्थान लेगा। इसका संचालन एक गवर्निंग बोर्ड द्वारा किया जाएगा । इसमें 15 से ले करके 25 जाने माने शोधकर्ता और अन्य सम्बन्धित व्यक्ति शामिल होंगे। इस बोर्ड के प्रधानमंत्री पदेन अध्यक्ष होंगे, जबकि केंद्रीय विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री पदेन उपाध्यक्ष होंगे। कार्यकारी परिषद् के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार होंगे। यह फाउंडेशन देश के विश्वविद्यालय, कॉलेज, शोध संस्थानों और प्रयोगशालाओं में होने वाले शोध को एक मंच पर लाने के साथ ही उनमें शोध कार्य के प्रति दृष्टिकोण विकसित करने में सहायक बनेगा। इस संस्थान के गठन का विचार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में व्यक्त किया गया है। उम्मीद है कि यह कदम शोध का माहौल बनाने और इस संदर्भ में देश की क्षमता बढ़ाने के लिहाज से NRF बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगा। आगे आने वाले दिनों में इसके माध्यम से देश के विभिन्न प्रकार के शिक्षण एवं शोध संस्थानों में शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए कार्य किए जाएंगे अभी तक भारत के शैक्षिक शोध संस्थानों में सोच कार्य के लिए यूजीसी डीएसटी आईसीएसएसआर एवं इस प्रकार के अन्य इकाइयों की मदद से शोध कार्य को किया जाता रहा है
उच्च शिक्षण संस्थानों में भारत की भी उपस्थिति
विश्व स्तर पर भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों की धमक प्रभावशाली बनी, किन्तु अभी यह कम संख्या में है। दुनिया भर के उच्च शिक्षण संस्थानों को लेकर 2023 में जो रैंक जारी हुई है, उसमें सिर्फ आईआईटी बॉम्बे विष्व के शीर्ष 150 संस्थानों में अपनी जगह बना सका है। इस रैंकिंग तक पहुंचने वाला वह देश का पहला संस्थान भी बन गया है। आईआईटी बॉम्बे वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में 149 स्थान प्राप्त किया है जबकि इस रैंक में 197 वे स्थान पर रह कर आईआईटी, नई दिल्ली देश में दूसरा स्थान हासिल किया है। पिछले साल इस रैंकिंग में उसे 174वॉं स्थान मिला था।
20 सालों से क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग की दुनियाभर में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस वर्ष इसमें 1503 संस्थानों की रैंकिंग जारी की गई है। हालॉकि इसमें विष्व के कुल 2963 संस्थान शामिल हुए थे। इनमें 45 संस्थान अकेले भारत के हैं। पिछले साल देश के 41 संस्थानों को इस रैंकिंग में जगह मिली थी। इस बार इस रैंकिंग में और भी संस्थानों के पहुॅंचने की उम्मीद थी। लेकिन रैंकिंग की मानको में बाद में तीन नए बिंदु जोड़ दिये गये। इस कारण भारतीय संस्थान पिछड़ गये। पिछले साल दुनिया भर के जारी शीर्ष 200 संस्थानों की रैंकिंग में तीन भारतीय संस्थान थे। किन्तु इस बार सिर्फ 2 संस्थान ही जगह बना पाए। रैंकिंग में स्थान पाने वाले भारतीय संस्थान में ज्यादातर आईआईटी संस्थान हैं। इसमें डीयू , जेएनयू और अन्ना यूनिवर्सिटी में भी जगह बनाई है । अन्य में आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली के अतिरिक्त आईआईएससी बेंगलुरु, आईआईटी खड़कपुर, आईआईटी कानपुर, आईआईटी मद्रास भी शामिल है। इस प्रकार से अभी भी विश्व के शीर्ष शैक्षिक संस्थानों में भारतीय विश्वविद्यालय काफी पीछे हैं किंतु अब उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में इस सूची में और अधिक संख्या में भारतीय शिक्षण संस्थान होंगे
https://www.thehindu.com/news/national/cabinet-nod-to-set-up-national-research-foundation-to-boost-r-and-d/article67019297.ece