Magic multiplier is a concept about the message dissemination capacity of mass media. It can send any message to unlimited number of people. It is called media as a magic multiplier. This content discusses some aspects of it
मास मीडिया ऐज ए मैजिक मल्टीप्लेयर
मीडिया स्टडी वर्ल्ड की तरफ से आपका स्वागत है । छात्रों ! आगे हम एक ऐसे संचार सिद्धांत की चर्चा करने जा रहे हैं जिसे एक बहुत ही महान संचार वैज्ञानिक विल्बर श्रैम Wilbur Schramm ने प्रस्तुत किया । यह सिद्धांत जनमाध्यमों का विकास में उपयोग के संदर्भ में विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है । हालांकि इसका इस्तेमाल संचार के किसी भी क्षेत्र में किया जा सकता है, किंतु उन्होंने मीडिया के विकास में उपयोग के संदर्भ में इसका विशेष रूप से इस्तेमाल किया । इसके माध्यम से उन्होंने मीडिया की शक्ति एवं मीडिया की क्षमता को बताने का प्रयास किया। इस पद का नाम मीडिया मैजिक मल्टीप्लायर है । इसका अगर हम हिंदी में अनुवाद करें तो हम कह सकते हैं कि जनमाध्यम एक जादुई गुणक है ।
Bullet theory of Mass Media जनमाध्यम का बुलेट सिद्धांत
मास मीडिया की क्षमता से हम सभी बहुत ही अच्छी तरीके से परिचित हैं। मास मीडिया को मैजिक मल्टीप्लेयर कहा जाता है। इसका अर्थ यही है कि यह किसी भी मैसेज या संदेश को मल्टीप्लाई कर सकती है । अर्थात् उसको कई गुणा संख्या में कर सकती है और फिर उसे बहुत बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचा सकती है । बाद में तो मैजिक मल्टीप्लेयर एक बहुत ही प्रसिद्ध पद के रूप में माना जाने लगा । इस पद को सर्वप्रथम बिल्बर श्रैम जो कि स्वयं ही बहुत ही महत्वपूर्ण संचार वैज्ञानिक थे, उन्होंने अपनी पुस्तक मास मीडिया इन नेशनल डेवलपमेंट में 1964 में इस पद का इस्तेमाल किया था।
जब हम जनमाध्यम को एक जादुई गुण अथवा मैजिक मल्टीप्लेयर कहते हैं तो इसका आशय यही है कि मीडिया से जो कुछ भी संदेश दिया जाता है, वह गुणक या मल्टीप्लाई होकर के बहुत अधिक संख्या में लोगों तक पहुंचता है। या हम यह कह सकते है कि संदेश कई गुणा हो करके काफी अधिक लोगों तक पहुॅचता है। अर्थात वह सिर्फ एक जगह से एक ही व्यक्ति तक नहीं पहुंचता है, वरन् उस मीडिया का इस्तेमाल करने वाले जितने लोग हैं, वह उन सब लोगों तक पहुंचता है और फिर उन लोगों के माध्यम से और आगे बढ़ता जाता है। यह प्रक्रिया के माध्यम से कोई एक संदेश बहुत बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच जाता है। यह बात जनमाध्यमों के लिए विशेष रूप से लागू होती है। आप जानते हैं कि जनमाध्यम को देखने सुनने पढ़ने वाले की संख्या अन्य प्रकार के माध्यमों की तुलना में अधिक होती है।
अब आइए हम यह देखते हैं कि उन्होंने यह बात किस सन्दर्भ में क्यों और कब कहा तथा इसका उद्देश्य क्या था। इस पद के पृष्ठभूमि यदि हम जाएं तो हम यह पाते हैं कि जनमाध्यमों का समाज में विकास के लिए उपयोग की चर्चा काफी पहले से आरंभ हो चुकी थी। प्रिंट माध्यम की खोज तो काफी पहले हो चुकी थी। किंतु बीसवीं सदी में पहले रेडियो और फिर बाद में टीवी के अविष्कार ने सूचना प्रसारण के क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में आ गए। इन माध्यमों का कैसे विकास में उपयोग हो, यह संचार वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का विषय बन गया।
आप जानते हैं कि 40 एवं 50 के दशक में जब बहुत बड़ी संख्या में तीसरी दुनिया के देश अपने औपनिवेशिक शासन से आजाद होकर के अपने विकास के लिए प्रयासरत थे। भारत भी इसी दौर में ब्रिटिश शासन से आजादी पाई थी। यह सभी देश अपने-अपने ढंग से विकास के लिए प्रयासरत थे । किंतु इन्होने यह महसूस किया गया कि यदि अपने देष समाज का विकास करना है तो फिर एक नए प्रकार की आर्थिक व्यवस्था और एक नए प्रकार की सूचना व्यवस्था भी स्थापना करना बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है।
इसके पहले की जो कुछ भी आर्थिक एवं सूचना व्यवस्था स्थापित की गई थी, उसे ब्रिटिश शासन ने अपने हित को ध्यान में रखकर के बनाया था और यह नई आर्थिक व्यवस्था और नई सूचना व्यवस्था न सिर्फ राष्ट्रों को अपने देश के संदर्भ में आवश्यकता महसूस हुई, बल्कि इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की आवश्यकता महसूस हुई। इसी क्रम में सामाजिक बदलाव के लिए जनमाध्यमों के इस्तेमाल की बात भी सामने आई । इस सन्दर्भ में यह माना जाने लगा कि मीडिया के द्वारा विकास प्रक्रिया को काफी तेजी से आगे बढ़ायी जा सकती है। मीडिया विकास कार्यक्रमों एवं प्रक्रिया में भागीदार बनाने के सन्दर्भ में लोगों को सूचना , शिक्षा, मार्गदर्शन ,जागरूकता उत्पन्न करने की आवष्यकता होती है। एक बहुत बड़े जन समुदाय में जन माध्यम ही यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, क्योकि वह मैजिक मल्टीप्लायर है।
इस प्रकार से विकास के सन्दर्भ में मीडिया को जो मैजिक मल्टीप्लायर Magic multiplier पद कहा गया, वह एक प्रचलित पद बन गया।