Hindi and Narendra Modi – Hindi language is spoken by maximum number of people in our country. This article discusses the role played by Narendra Modi in popularizing Hindi Language.
हिन्दी भाषा और नरेन्द्र मोदी
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Hindi language and Narendra Modi
बारहवॉं विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन फिजी में पन्द्रह से सत्रह फरवरी 2023 तक किया गया। इसमें बहुत बड़ी संख्या में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। हिन्दी के प्रचार प्रसार के सन्दर्भ में एक निश्चित अवधि बाद आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम पिछले कई दशकों से किया जा रहा है। इसी प्रकार से देश में हम प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाते हैं। इस उपलक्ष्य में हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में हिंदी सप्ताह, हिंदी पखवारा मनाते हुए बहुत से कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। इसी प्रकार से प्रतिवर्ष 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस भी मनाया जाता है। इस अवसर पर अपनी मातृभाषा के महत्व को रेखॉंकित किया जाता है । इस प्रकार हिंदी एवं मातृभाषा के प्रचार प्रसार के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों के साथ-साथ उसके उन्नयन एवं प्रचार के लिए सुझाव भी दिए जाते हैं। यद्यपि उस पर अमल कितना होता रहा, यह अलग बात है।
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अपनी भाषा में एक तरफ जहॉं हम बहुत ही सहजता के साथ अपनी बातें कर लेते हैं, वहीं पर सुनने वाले लोग भी बातों को बहुत ही सहजता के साथ समझ लेते हैं और उनको एक सुखद स्थिति में भी रखते है। प्रभावी भाषा संचार करने के संदर्भ में इतनी सी बात को समझने में एक लंबा युग बीत गया। हालॉंकि बहुत से लोग हिन्दी एवं मातृभाषा के पक्ष में बातों को कहते रहे, किंतु इसे व्यवहार में कैसे किया जाए, इसके बारे में आमूल रूप से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा सकेे। परिणाम यह रहा कि हिंदी भाषा बोलने के प्रति लोगों में एक पूर्वाग्रह बना रहा और जब कभी भी प्रबुद्ध वर्ग में सार्वजनिक मंचों पर संचार प्रक्रिया की जाती रही, तो राजनीति और चुनाव प्रचार को छोड़ दिया जाए तो अन्य सभी प्लेटफार्म पर प्रबुद्ध वर्ग को यही लगता रहा कि यदि वे हिंदी भाषा का इस्तेमाल करेंगे तो उनका सम्मान कम हो जाएगा। यहॉं पर विषय सामग्री एवं संचार गौण हो गया और अभिव्यक्ति की भाषा अर्थात् माध्यम पर ही ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा। न्यायालय से ले करके उच्च शिक्षा तक में इसी भाषा का ही बोल बाला रहा है।
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हिंदी भाषा को सबसे अधिक चुनौती अंग्रेजी भाषा से ही मिलती रही है। यह भी सत्य है कि विभिन्न प्रकार के मंच पर जहां हिंदी भाषा में बहुत ही प्रभावी तरीके से लोगों के बीच में बातें पहुंचाई जा सकती थी, वहॉं पर भी अंग्रेजी भाषा में बातें रख कर संचार को दुरूह ही बनाया गया। अंग्रेजी में बोलना ही प्रभावी संचार माना गया। यह गलतफहमी अंग्रेजी बोलने वाले और सुनने वाले दोनों की तरफ से रही। किन्तु अब स्थिति काफी बदल गयी है। धीरे धीरे ही सही किन्तु अब हिन्दी को स्थान मिलने लगा है। इस समय सौ से अधिक देषों में 670 से अधिक संस्थाओं में हिन्दी भाषा को सिखाया जाता है। विभिन्न प्रकार के व्यापारिक क्रिया कलापों में हिन्दी भाषा का इस्तेमाल आवष्यक होता जा रहा है। उच्च शिक्षा में हिन्दी को स्थान दिया जाने लगा है। इंजीनियरिंग एवं मेडिकल में अब हिन्दी भाषा को जगह दिया जाने लगा है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अब हिन्दी का विस्तार अपने सहज गति से होने लगा है।
किंतु यह बहुत ही सुखद का विषय रहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम जन से संवाद के लिए सभी जगहो पर हिंदी माध्यम को ही चुना और इसी भाषा में वह स्थानीय स्तर से लेकर के अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक के सभी मंचों पर संवाद करते हैं। यह अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि है और हिंदी भाषा के प्रचार के लिए जो कार्य बहुत बड़े संसाधन द्वारा नहीं किया जा सका है, उस कार्य को इन्होंने अपने हिन्दी मे संवाद करने के खास अंदाज से कर दिया है। हिन्दी माध्यम से संवाद करके प्रधानमंत्री ने कई प्रकार के मिथक तोड़े है और नये मिथक स्थापित भी किये हैं।
नरेन्द्र मोदी जी से पहले देश का कोई भी अन्य प्रधानमंत्री हिन्दी भाषा का विशेष करके अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर इस प्रकार से इस्तेमाल करने की पहल नही कर सका था। यदि कोई प्रधानमंत्री विदेश में भारतीय या अन्य समूहों को सम्बोधित किया है तो फिर वह संख्या तथा रूप एवं आकार में भी बहुत ही छोटा रहा है और उसकी भाषा मुख्यतया अंग्रेजी ही रही है। इसके पीछे जो भी कारण रहे हो, किन्तु अपनी भाषा को पीछे रख करके अपने ही लोगों के साथ दूसरी भाषा में बातचीत करने की निरर्थकता को शायद हम सही प्रकार से नही समझ सके थे।
Hindi and Narendra Modi हिंदी एवं नरेंद्र मोदी
वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब विदेशों में उस देश के राष्ट्राध्यक्ष से हिंदी में बात करते हैं तो सबके बीच में यही संदेश जाता है कि हिंदी भाषा का उपयोग सबसे बड़े प्लेटफार्म पर बहुत ही सहजता और गर्व के साथ किया जा सकता है। यह भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है कि ऐसे प्लेटफार्म पर हिंदी भाषा का इतने व्यापक तौर पर स्वाभाविक ढंग से इस्तेमाल शायद बहुत समय पश्चात हो रहा है। यदि हम पीछे के इतिहास को देखें तो यह बात स्पष्ट हो जाती है।
नरेन्द्र मोदी द्वारा देश की जनता एवं विदेश में जा करके के लोगों के साथ हिन्दी भाषा में संवाद करना भी एक बहुत ही सकारात्मक पहलू है। विभिन्न प्रकार के विषयों के संदर्भ में लोगों को हमेशा संबोधित करने से देश की जनता को भी एक भरोसा मिलता है और अपने लोकतांत्रिक व्यवस्था और उसके अंगों के प्रति जुड़ाव बनता है। हिन्दी भाषा में किये गये सम्बोधन से वे उन्हे अपने समीप पाते हैं। वे सभी बातों को सहज ढंग से समझ जाते है। हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए लोगों को मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार करने की शुरू से आवश्यकता रही है। किंतु यह एक दुखद पहलू रहा है कि लोगों के मन में इसके प्रति एक नकारात्मक धारणा बन गई थी। किंतु मोदी ने इन सभी धारणाओं को ध्वस्त कर के रख दिया। संचार के संदर्भ में नरेंद्र मोदी और हिंदी Hindi and Narendra Modi का आपस में बहुत ही जबरदस्त समन्वय दिखाई दिया है ।
प्रधानमंत्री ने हिंदी भाषा को प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया है। नए संचार तकनीकों के कारण प्रधानमंत्री के भाषण का प्रचार-प्रसार भी काफी अधिक मिलता है और लोग उन्हे हिंदी भाषा में बोलते हुए देखते एवं सुनते हैं। यह लोगों के लिए एक प्रेरणा का ही कार्य करता है । देश के सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति जब इतने सहजता के साथ हिंदी भाषा में संवाद कर रहा है तो फिर इसे बोलने के प्रति किसी प्रकार की कोई संकोच करने के प्रश्न ही नहीं है ।
प्रधानमंत्री द्वारा अपने विदेशी दौरों के दौरान विभिन्न जगहों पर लोगों से भेंट मुलाकात में हिंदी भाषा का है इस्तेमाल से इस भाषा का मान सम्मान स्वतः ही बढ़ जाता है । इससे उन प्रबुद्ध लोगों को भी प्रेरणा मिलती है जो कि कि अंग्रेजी में ही बोलने के आदि रहते है। इसके पूर्व देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा 4 अक्टूबर 1977 को विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ में पहली बार हिंदी भाषा में संबोधित किया गया और वह एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में हमेशा याद किया जाता रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई उपलब्धियों में इसे भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में माना जाता है।
पूर्व में जब कभी किसी देश का राष्ट्राध्यक्ष हमारे देश में आ करके अपनी भाषा में बात करता था तो वह हमारे लिए एक देश भक्त एवं सम्मानित व्यक्ति के रूप में देखा जाता रहा है , क्योंकि उस समय हम यह बात अवश्य कहते थे कि यह व्यक्ति अपनी भाषा,संस्कृति को बहुत अधिक महत्व देता है। यही बात अब हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी विदेशों में कही जाती है। जब वह जहां कहीं भी जाते हैं और हिंदी भाषा में बातें रखते हैं। हिंदी भाषा में संवाद करने से संबंधित देश में भी हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार होता है। लोग कम से कम हिंदी भाषा के नाम से परिचित होते हैं और हिंदी के बारे में जरूर कुछ न कुछ चिंतन मनन करते होंगे।
विदेश में जब प्रधानमंत्री वहां रहने वाले अपने देश के व्यक्तियों के साथ हिंदी में संवाद करते हैं तो एक बहुत ही सहज परिवेश का भी निर्माण होता है। उस समय वह अपने भाषा सभ्यता, संस्कृति के अन्य पक्षों को भी व्यक्त कर रहे होते है । अपनी भाषा में बोल कर हम अपने राष्ट्र के स्वाभिमान को व्यक्त कर रहे होते हैं। हम विश्व के समक्ष भारत को गर्व के साथ व्यक्त कर रहे होते है और भारत की एक नई पहचान को दिखा रहे होते हैं।
यह भी एक बहुत ही विचित्र विडंबना रही है कि जिस भाषा को पूरे दुनिया के करोड़ों लोग बोलते हो, उस भाषा को संयुक्त राष्ट्र संघ में एक जगह बनाने में दशकों लग गए। किन्तु अब अपने देश में जब हम अपनी भाषा बोली, संस्कृति के महत्व को पूरा देशवासी पहचान गया है। इसी के साथ वह इस बात को भी जान गया है कि इससे ही अपनी सभ्यता संस्कृति की रक्षा हो सकती है। किन्तु किसी प्रकार की राजनीति से परे हट करके देखें तो इस जागरूकता का एहसास कराने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष उस योगदान को किसी प्रकार से नकारा नही जा सकता है जो करोड़ों भारतीयों को हिन्दी भाषा को गर्व के साथ बोलने के लिए प्रेरित करता रहता है । Hindi and Narendra Modi