December 22, 2024

Aperture is one of three controlling factors of light entering sensor of camera while taking photo by camera. This article discusses various aspects of aperture.

Aperture in photography

फोटोग्राफी में प्रकाश की भूमिका काफी अधिक होती है। फोटो लिए जाने वाली वस्तु पर प्रकाश कैसे पड़ रहा है और उससे प्रकाश कैसे परावर्तित हो रहा है, ये दोनो कारक कैमरे द्वारा फोटो लेते समय उसकी गुणवत्ता को निर्धारित करते है। अपर्चर, शटर स्पीड और आइसो फोटोग्राफी में प्रकाश नियंत्रक के 3 मूलभूत कारक है। किंतु इन तीनों में से अपर्चर सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रकाश नियंत्रक कारक है और आगे हम इसी के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी हैं ।

अपर्चर Aperture

Benefits of Digital Photo डिजिटल फोटो के लाभ
कैमरे में लेंस के सामने स्थित पुतली को अपरचर कहते हैं। कैमरे में अपर्चर कैमरे में जाने वाला प्रकाश का नियंत्रण करता है। इसे हम हां से तुलना करके स्पष्ट किया जा सकता है। जिस प्रकार से हमारी आंख की आयरिश फैल करके अथवा सिकुड़ करके पुतली की साइज को अधिक या कम करती है। उसी के अनुसार आंख में अधिक या कम प्रकाश किया जाना चाहिए। जब हम प्रकाश वाले स्थान से अंधेरे अथवा अंधेरे वाले या फिर प्रकाश वाले स्थान की तरफ से जाते हैं तो आंख में जाने वाली प्रकाश की मात्रा को वही आयरिश नियंत्रित करता है। इस प्रकार जैसे आंख फैलने अथवा सिकुड़ने का कार्य करता है, जिससे कि आंख की पुतली से अधिक अथवा कम प्रकाश आंख के अंदर जाती है, उसी प्रकार से कैमरे में स्थित अपर्चर कैमरे के लेंस के पहले तकनीकी तौर पर बना वह छिद्र या होल होता है जिससे कि प्रकाश कैमरे के अंदर जाता है। इस अपर्चर का आकार छोटा एवं बड़ा किया जा सकता है। जब इसका आकार बड़ा करते हैं तो कैमरे में अधिक मात्र में प्रकाश जाता है और जब उसका आकार छोटा करते हैं तो कैमरे में गुजरने वाले प्रकाश की मात्रा घट जाती है। इस प्रकार से यह कैमरे में सेंसर तक जाने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करता है और यह कैमरा सिस्टम के लिए पुतली का काम करता है जिसे कम या अधिक करके इस से गुजरने वाले प्रकाश की मात्रा को बदलते हैं।

अपर्चर की बनावट Structure of aperture


कैमरे की अपर्चर में ब्लेड लगे हुए रहते हैं जो कि एक डायफ्राम का कार्य करते हैं। यह प्रकाश को कैमरे के अंदर जाने से रोकते हैं। जैसे जैसे इसे घुमाते हैं उसी के साथ ही यह ब्लेड अन्दर या बाहर की तरफ होते है। जब ये अन्दर की तरफ होते है तो फिर अपर्चर का आकार घटता है। वह छोटा होतेा चला जाता है। किन्तु जब वह बाहर की तरफ जाते हैं तो फिर अपर्चर का आकार बढ़ता जाता है। इस प्रकार से आवश्यकतानुसारअपर्चर के ब्लेड को अन्दर या फिर बाहर करते है। जिससे कि अपाचे का छिद्र छोटा या बड़ा होता है

लेंस के अपर्चर का एक्पोजर पर प्रभाव Effect of Aperture of lens on exposure

लेंस के अपर्चर का प्रकाष एक्सपोजर पर बहुुत ही अधिक प्रभाव पड़ता है। इसमें प्रकाष की मात्रा के अनुसार पिक्चर काला अथवा चमकीला दिखता है। इसका मुख्य कारण यह है कि अपर्चर द्वारा ही कैमरा के सेंसर तक प्रकाश जाता है। जब अपर्चर का आकार कम होता है तो फिर प्रकाश की मात्रा की मात्रा कम जाती है और जब अपर्चर का आकार अथवा अधिक किया जाता है तो फिर अधिक मात्रा में प्रकाश जाता है। फिर उसी के अनुसार पिक्चर काला अथवा चमकीला हो जाता है। अपरचर जब कभी भी काफी बड़ा किया जाता है, इसका अर्थ यही है कि वह क्षेत्र जिससे होकर के प्रकाश जाता है, वह बड़ा हो जाता है। उस स्थिति में अधिक मात्रा में प्रकाश जाता है और फिर चमकीला हो जाता है। वहीं पर, अपर्चर को जब छोटा किया जाता है तो फिर पिक्चर काला हो जाता है।


इस प्रकार से फोटोग्राफी में प्रकाश का बहुत ही बड़ी भूमिका होती है और सही तरीके से प्रकाश का चयन सही फोटो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इसलिए जब कभी भी कहीं पर फोटोग्राफी की जा रही होती है, तो उस समय कम प्रकाश होने पर अपरचर को बढ़ा करते हैं और अधिक प्रकाश होने पर अपरचर को छोटा करते हैं।

अपर्चर का पिक्चर की गहराई या डेप्थ आफ फील्ड पर प्रभाव Effect of aperture of the depth of field

किसी भी प्रकार के फोटोग्राफी में कैमरे का अपर्चर पिक्चर की गहराई की स्पष्टता को भी प्रभावित करता है। इसे डेप्थ आफ फील्ड कहते है। डैप्थ आफ फील्ड किसी फोटो का वह भाग होता होता है जो कि पिक्चर के सामने से लेकर के पीछे तक स्पष्ट तौर पर दिखता है। कहने का आशय यह है कि जब कोई दृश्य लिया जा रहा होता है, तो उसमें सामने से लेकर के पिक्चर के पीछे तक के भाग कितना स्पष्ट दिख रहा है, वह उस हिसाब से लिया जाता है । जब यह अर्थात गहराई अधिक होता है तो इसका आशय यही है की पिक्चर में सामने एवं पीछे के भाग की स्पष्टता अधिक है । जब यह कम होता है तो इसका आशय यह है कि कैमरा कम दूरी तक ही स्पष्ट पिक्चर बना पा रहा है। उस पिक्चर में बहुत ही कम डेप्थ आफ फील्ड होता है जिसमें कि बैकग्राउंड बिल्कुल फोकस से बाहर होते हैं। वहीं कुछ पिक्चर में डेप्थ आफ फील्ड अधिक होता है और उसमें फोरग्राउंड और बैकग्राउंड दोनों बहुत ही स्पष्ट तौर पर दिखते हैं। डेप्थ आफ फील्ड कम होता है तो उसमें उथला या फिर धुॅधला फोकस प्रभाव कहा जाता है।

अपर्चर के द्वारा पिक्चर के डेप्थ ऑफ फील्ड अथवा गहराई को नियंत्रित किया जाता है। जब अपर्चर का आकार बड़ा होता है तो फिर उस समय इससे लिये गये फोटो में धुंधला बैकग्राउंड दिखाता है जिसमें कि उथला फोकस वाला पिक्चर दिखता है,। अर्थात् सामने या फारग्राउंड का दृष्य स्पष्ट दिखेगा, किन्तु बैकग्राउंड धुधला दिखता है। वहीं पर यह अपर्चर का आकार छोटा होता है तो फिर बहुत ही तीक्ष्ण फोटो भी दिखाता है, जिसमें कि फॉरग्राउंड से लेकर के दूर क्षेत्र तक सब दृष्य ही स्पष्ट होकर दिखता है। लैंडस्केप फोटोग्राफी में कैमरे के इस विशेषता का फोटोग्राफर बहुत इस्तेमाल करते हैं इसका विषेष तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।


जब किसी पिक्चर में हम स्पष्ट रूप से फोकस में दिख रहा है जबकि बैकग्राउंड पूरी तरीके से आंखों से बाहर होता है। इसका अर्थ यही है बड़ा अपरचर से उथला फोकस वाला पिक्चर बनाया गया है। अपरचर का आकार जितना ही बड़ा होता है, यह प्रभाव उतना ही अधिक होता है। जब इस प्रकार का पिक्चर बनता उस समय आवश्यक होता है, जब उसमें बैकग्राउंड पर दर्शक का ध्यान नहीं देना रहता है और वह फॉरग्राउंड में फोकस में पिक्चर पर केन्द्रित करना है । यदि कम आकार का अपर्चर इस्तेमाल किया जाता है, तो उस स्थिति में वस्तु का फोटो बैकग्राउंड से अलग करके फाॅरग्राउंड का पिक्चर दिखाना संभव नहीं हो पाता है।


इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि यदि अपर्चर बडे आकार क़ा है, तो उस स्थिति में बैकग्राउंड और फोरग्राउंड दोनों बड़े रूप में तो दिखेगा। किंतु बैकग्राउंड धुंधला रूप में दिखेगा। अतः यदि फॉरग्राउंड के पिक्चर को बहुत ही स्पष्ट तरीके से लेना होता है तो उस स्थिति में अपर्चर को हम बड़ा करके फोटो लेते हैं जिससे कि जो फोटो लिया जा रहा है, वह अन्य भागों से अलग हो करके दिखे। किन्तु जब फारग्राउंड में बैकग्राउंड में स्थित वस्तु को शामिल करते हुए फोटो लेना है तो फिर अपर्चर का आकार छोटा करते है।

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