वर्तमान में बहुत से सोषल मीडिया से ले करके मुख्य धारा की पत्रकारिता में राजनीतिक दल से ले करके किसी अन्य प्रकार के विचार आदि के पक्ष में तर्क देते हुए पत्रकारिता काफी अधिक संख्या की जाने लगी है। इस प्रकार की पत्रकारिता में किसी विषय के एक पक्ष के बारे मे ंतो चर्चा काफी अधिक की जाती है किन्तु उसके दूसरे पहलू के बारे में कुछ भी नही कहा जाता है। अर्थात् यह पत्रकारिता निरपेक्ष रूप से न हो करके किसी व्यक्ति, संगठन, समूह या राजनीतिक दल या फिर विचार के पक्ष में या फिर उसके विरोध में की जाती है। इस तरह की पत्रकारिता को हम ऐडवोकेसी पत्रकारिता के रूप में जानते हैं। ऐडवोकेसी पत्रकारिता राजनीतिक एवं सामाजिक मुद्दे को ले करके विषेषतौर पर किया जाता रहा है।
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ऐडवोकसी पत्रकारिता का उदय पिछली शदी में ही हो गया था। कई ऐसे पत्रकार रहे हैं जो कि किसी राजनीतिक दल या फिर विचार के पक्ष में खुल करके अपने विचार रखते रहे। सामान्यतौर पर किसी विषय पर पत्रकार एक एजेन्डा के अन्तर्गत ही अपने एक पक्षीय बातों को प्रस्तुत करता है। वह किसी विषय या मुद्दे को ले करके उसके किसी एक पक्ष में अपने तर्को के माध्यम से उसे सही बताने का प्रयास करता है।
ऐडवोकसी पत्रकारिता पष्चिम एवं अमेरिकी मीडिया जगत में भी की जाती रही है। विभिन्न प्रकार के समूह, वर्ग, विचार के लोग अपनी अपनी बातों को सही साबित करने के लिए सब प्रयास करते हैं। किन्तु राजनीति में एडवोकसी पत्रकारिता सबसे अधिक की जाती रही है। यह विविध रूपों में दिखता है।
ऐडवोकसी पत्रकारिता के अपने फायदे एवं नुकसान भी हैं। जब यह किसी सही मुद्दे के पक्ष में की जाती है तो फिर उस समय इस प्रकार की पत्रकारिता का अपना विषेष महत्व हो जाता है। वह स्थानीय स्तर से ले करके राष्ट्रीय स्तर के किसी विषय के पक्ष में सम्बन्धित प्रषासन पर अपना दबाव डालते हैं।
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ऐडवोकेसी पत्रकारिता में पत्रकार न सिर्फ किसी मुद्दे पर एक ही पक्ष के तथ्यों को प्रस्तुत करता है, वरन् वह उसके एक पक्ष के बारे में अपने विचार भी देता है। इस प्रकार की पत्रकारिता में समाचार स्रोत से ले करके इन्टरव्यू करने वाले व्यक्ति तक में उन्ही लोगों का चयन किया जाता है जो कि उनके एजेंडे को पूरा करते है। इसी प्रकार से उस विषय के सन्दर्भ में विविध स्रोतों एवं ऐतिहासिक तथ्यों में से उन्ही बातों को दिया जाता है, जो कि उनके पक्ष में होते है।
इसके द्वारा एक प्रकार से कम्पेन भी चलाया जाता रहा है। जनभावनाओं एवं आकांक्षाओं को ले करके की जाने वाली मीडिया ऐडवोकेसी समाज के हित में कही जा सकती है। लेकिन जब यह निहायत निजी एवं व्यक्तिगत् हितों को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है तो फिर इसे नकारात्मक तौर पर देखा जाता है। इस प्रकार की पत्रकारिता करके एक प्रकार से इस व्यवसाय की शुद्धता, ईमानदारी एवं विष्वसनीयता पर ही हमला किया जाता है। पत्रकारिता के बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्धान्त निरपेक्षता एवं सन्तुलन का इसमें किसी तरह से पालन नही किया जाता है।
पहले ऐडवोकेसी पत्रकारिता में मुख्य धारा के माध्यम एवं पत्रकार शामिल होते थे किन्तु सोषल मीडिया के उदय के बाद आम जन भी किसी न किसी रूप में ऐसी पत्रकारिता करने लगे है। अब तो पूरी दुनिया में सोषल मीडिया पर ऐडवोकसी पत्रकारिता काफी अधिक की जाने लगी है। किसी भी प्रकार के राजनीतिक, सामाजिक पहलू के एक पक्ष के बारे में सारे तर्क दिये जाते है और बातें तो कही जाती है, किन्तु उसके दूसरे पक्ष के बारे में कुछ भी नही कहा जाता है। सिटिजन पत्रकारिता के अन्तर्गत ऐडवोकसी पत्रकारिता करना बहुत ही आम बात हो गयी है। इसे सुन करके किसी बात विचार के पक्ष में लोगों के विचार को बनाने के लिए सभी प्रयास किये जाते है।
अन्य प्रकार की पत्रकारिता की तरह ही ऐडवोकेसी पत्रकारिता का विस्तार राष्ट्रीय स्तर तक ही सीमित नही है , वरन् यह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर की जाने लगी है। इसी प्रकार से अब इसका स्वरूप भी कई बार काफी संगठित रूप में दिखता है। ऐडवोकेसी पत्रकारिता कई स्तरों पर देखी जा सकती है। कुछ मायनों में यह कहा जा सकता है कि इस प्रकार की पत्रकारिता का स्वरूप पहले बहुत स्पष्ट रूप में सामने नही आता था। किन्तु अब यह बहुत ही खुल करके की जाने लगी है। मुख्य धारा के माध्यम भी कभी भी किसी मुद्दे को ले करके उसके किसी आयाम के पक्ष में सारे तर्क प्रस्तुत करते हैं किन्तु उसके अन्य पक्षों पर चर्चा नही करते है।
ऐडवोकसी पत्रकारिता का प्रभाव कई प्रकार से समाज पर पड़ने की आषंका व्यक्त की जाती है। एक तरफ जहॉ इससे किसी विषय के एक पहलू के बारे में बहुत अधिक जानकारी दी जाती है, वहीं दूसरे पहलू के बारे में कुछ भी चर्चा न होने से उसके महत्वपूर्ण बातों पर लोगों का ध्यान नही जाता है। यह बात पूर्व में की गयी ऐडवोकसी पत्रकारिता के सन्दर्भ में भी सत्य है। इसके अन्तर्गत समाज में किसी विषय के एक ही पक्ष को उजागर किया गया। समाज के लोग किसी महत्वपूर्ण विषय को समग्र रूप में नही जान पाते है। यदि किसी विषय के नकारात्मक पहलू के पक्ष में अनावष्यक रूप से तर्क दे करके उसे सामने लाया जाये तो फिर लोग गलत तथ्य को ही याद कर पाते है। फिर वही समाज में आगे फैलता है। यह कुछ लोगों के स्वार्थों को भले ही पूरा करती हो किन्तु इससे समाज का नुकसान ही होता है।