Story narrator can be divided into various categories depending on the style of story narration. The format of presentation is also used in film. The article “Story Narrator” describes various kinds of narrators. स्टोरी नैरेटर
Story narrator कथावाचकों के प्रकार
हमारे समाज में कहानी कहने सुनाने या वाचन की परम्परा बहुत ही पुरानी है। प्रत्येक व्यक्ति की कहानी सुनाने की अपनी अपनी विशिष्ट शैली भी होती है। कहानी सुनाते समय एक कथावाचक को कहानी को एक विशिष्ट स्थिति से देखता है । भले ही वह उसमें आंतरिक रूप से एक प्रतिभागी के तौर पर या बाहरी रूप से एक पर्यवेक्षक के तौर पर उसमें शामिल हो। जिस दृष्टिकोण पर कथावाचक एक कहानी को देखता है और कार्य करता है, वह कथाकार के दृष्टिकोण को बनाता है। संक्षेप में, यह कथावाचक का अवलोकन है जिसमें कि वह जो कुछ भी देख, सुन एवं अनुभव कर सकता है या कहानी में शामिल पात्रों के बारे में जान सकता है, उसे वह प्रस्तुत करता है।
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किसी कथा को तीन अलग-अलग तरीके से कहा जा सकते हैं। कहानी के सन्दर्भ के अनुसार इसे मुख्यतौर पर तीन प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है। प्रथम व्यक्ति परिप्रेक्ष्य, दूसरा व्यक्ति परिप्रेक्ष्य, तीसरा व्यक्ति परिप्रेक्ष्य । ये तीन दृष्टिकोण या तरीके से किसी भी प्रकार के साहित्य के सभी प्रकार के बातों को प्रस्तुत किया जाता देते हैं।
प्रथम व्यक्ति कथावाचक Story Narrator – जब कोई व्यक्ति आपबीती के तौर पर घटना को कहानी के रूप में प्रस्तुत करता है तो फिर उसे प्रथम व्यक्ति कथा वाचक के तौर पर कहा जाता है। वह सुनायी जाने वाली घटना में शामिल हो सकता है अथवा इसे एक दर्शन के तौर पर भी सुना सकता है। दर्शक के तौर पर सुनने से यही लगाता है कि उसने इसे देखा है। किन्तु जब वह इसे एक भागीदार के तौर पर सुनाता है तो फिर ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति अपने साथ घटी कहानी सुना रहा है। इससे श्रोताओं में उन्हे उसके प्रति एक लगाव हो जाता है। ऐसे सम्बोधन में कहानी के प्रति विश्वास भी बनता है। काल्पनिक कथा में तो इसे प्रस्तुत किया ही जाता है किन्तु गैर-काल्पनिक कार्यों में, प्रथम पुरुष नरेशन हम आत्मकथाओं और संस्मरणों में प्रायः देखते हैं। किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं के जीवन की लिखी गई कहानियाँ अक्सर प्रथम पुरुष में लिखी जाती हैं जिससे व्यक्ति सीधे पाठकों को अपनी कहानी बता सकता है।
जब कथा को प्रथम व्यक्ति कथावाचक के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है तो फिर इसमें कथावाचक मैं या हम शब्दों का उपयोग करके कहानी को अपने दृष्टिकोण से बताता है। इसमें नैरेटर या कथावाचक कहानी का हिस्सा होता है, वह एक पात्र के रूप में और आमतौर पर एक मुख्य पात्र के रूप में हो करके अन्य पात्रों के साथ अभिनय करते हुए कहानी को प्रस्तुत करता है। किन्तु वह सहायक पात्र के तौर पर भी कहानी को सुना सकता है। पाठक एवं दर्शक कथा को इस चरित्र की आँखों से वह सब बातें देखता है और जानता है जो कि चरित्र क्या जानता है। इस प्रकार के कथा लेखन में, प्रथम व्यक्ति वर्णन व्यक्तिगत् कहानियों का निर्माण कर सकता है। यह पाठकों को कहानी के मुख्य चरित्र के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने का अवसर देता है।
दूसरा व्यक्ति कथावाचक Story Narrator – दूसरा व्यक्ति कथावाचक सीधे पाठक को संदर्भित करने के लिए आप शब्द का उपयोग करता है। संक्षेप में, दूसरा व्यक्ति कथाकार इस प्रकार से प्रस्तुत करता है कि पाठक कहानी में प्रत्यक्ष भागीदार बन जाता है, उनसे सीधे बात की जाती है। हालॉंकि दूसरा व्यक्ति कथावाचन साहित्य में सबसे कम पाया जाने वाला वर्णन है, यह विशिष्ट प्रकार के कथा के साथ ही गैर-लेखन लेखन में भी पाया जाता है। रेडियो माध्यम एवं टीवी माध्यम में समाचार से ले करके अन्य प्रकार के कार्यक्रमों में श्रोताओं एवं पाठकों को सीधे सम्बोधित करते हुए विभिन्न प्रकार की कहानियों को सुनाया जाता है।
काल्पनिक कथाओं के अतिरिक्त दूसरे व्यक्ति के वर्णन को वाचक की अपनी खुद के साहसिक कहानियों में देखा जा सकता है जिसमें पाठक को विभिन्न प्रकार के ऐक्शन दृश्यों के अंत में विकल्प बनाने के लिए बनाया जाता है। ये विकल्प पात्रों (पाठक सहित) को कई अलग-अलग अंत तक ले जाते हैं। लेखन के इस रूप का विभिन्न प्रकार के साहसिक अभियानों में देखा जा सकता है। इसमें श्रोता का ध्यान कथावाचक की तरफ खीचा रहता है क्योकि वह उन्हे सीधे सम्बोधित करता रहता है। बहुत से रेडियो कार्यक्रमों में इस प्रकार के सम्बोधन किया जाता है।
तीसरा व्यक्ति कथावाचक Story Narrator – कथावाचक का सबसे सामान्य रूप तीसरा व्यक्ति कथावाचक है। यह कथन शैली अन्य पात्रों की कहानी को दूर के दृष्टिकोण से बताने के लिए पुरूष या महिला हेतु कथावचक वह जैसे शब्दों का उपयोग करता है। तीसरा व्यक्ति कथावाचक कहानी में सक्रिय भाग नहीं लेते है बल्कि वह कहानी कह रहे होते है। ऐसा लगता है कि जैसे उसने घटना को देखा या फिर महसूस किया है। तीसरे व्यक्ति के कथन के दो रूप हैं। 1-सीमित तीसरा व्यक्ति कथावाचक, 2 – सर्वज्ञ तीसरा व्यक्ति कथावाचक
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-सीमित तीसरा व्यक्ति कथावाचक Story Narrator के पास सीमित जानकारी होती है और वह केवल वही व्यक्त कर सकता है जो किया जा रहा है या कहा जा रहा है। इसमें कथावाचक एक सीमित ढंग से ही बातों को देख पाता है और उसका वर्णन करता है। अक्सर, तीसरे व्यक्ति का सीमित वर्णन कहानी के माध्यम से एकल चरित्र का अनुसरण करता है।
-सर्वज्ञ तीसरा व्यक्ति कथावाचक Story Narrator- इस प्रकार का कथावाचक सब कुछ जानने वाला और सब कुछ देखने वाला होता है। कथावाचक जानता है कि पात्र कैसा महसूस कर रहे हैं और वह ऐसी जानकारी दे सकता है जो सामान्य तौर पर देखी नही जा सकती है , किन्तु उसे इसके बारे में जानकारी रहती है। तीसरे व्यक्ति के वर्णन वास्तविक एवं काल्पनिक दोनों प्रकार की कथाओं के सन्दर्भ में किया जा सकता है। तीसरे व्यक्ति के रूप में कथाओं का वर्णन सामान्य आत्मकथाओं में आम है। इसमें एक लेखक दूसरे व्यक्ति के जीवन की कहानी का वर्णन करता है।
कहानी के प्रस्तुत करने के सन्दर्भ में अन्य पहलू भी महत्वपूर्ण होता है। जैसे कि कथावाचक पाठक से जो कुछ कहता है, उस पर गंभीरता से सवाल उठाने का अच्छा कारण हो सकता है। वह अपनी व्याख्या में पक्षपाती हो सकता है। वर्णनकर्ता कहानी का आंतरिक या बाहरी हो सकता है। वह कथा को एक या एक से अधिक पात्रों की तरफ से व्यक्तिपरक ढंग से या फिर घटना का दृष्टा मात्र हो करके वर्णन कर सकता है।
इस प्रकार से नरेशन के अन्तर्गत कथा बताने वाला व्यक्ति किसी कथा को कई प्रकार से व्यक्त करता है। किन्तु वह कथा को किस प्रकार प्रकार से व्यक्त करना है, उस पर सोच विचार करके प्रस्तुत किया जाना चाहिए। कहानी कहने वाला कहानी को कैसे कह रहा है, यह कहानी के लोकप्रिय होने में काफी हद तक अपनी भूमिका निभाता है।