Effective beginning in public speaking -The beginning of speech is very important. This article describes various methods about Effective beginning in public speaking.
पब्लिक सम्बोधन का प्रभावी आरम्भ
विभिन्न प्रकार के सामाजिक क्रिया कलापों के अवसर पर लोगों को सम्बोधित करने की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता होती है। सामाजिक, शैक्षिक एवं राजनीतिक क्रिया कलापों के अवसर पर सम्बोधन के अतिरिक्त अन्य कार्य विषयों के सन्दर्भ में एकत्रित आम जन को सम्बोधित करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में सम्बोधन करने वाले वक्ता के लिए यह आवश्यक है कि वह इसकी बारीकियों को जाने और फिर उसे ध्यान में रख करके ही लोगों को संबोधन आरंभ करे।
जब भी किसी भी प्रकार के कार्यक्रम में किसी वक्ता द्वारा लोगों को सम्बोधन किया जाता है तो फिर उसका आरम्भ उसका बहुत ही महत्वपूर्ण पल होता है। यही पल इस बात का निर्धारण करता है कि वक्ता की बातों को लोग कितना ध्यान दे करके सुनने की मनःस्थिति बना पा रहे हैं। वक्ता लोगों को अपनी तरफ आकृष्ट करने के लिए विविध तरीके अपना सकता है।
परिचय-
दैनिक जीवन मे विविध प्रकार के कार्यक्रमों में भाग लेने के अवसर पर किसी विषय की प्रभावी प्रस्तुति दर्शकों को वक्ता के भाषण को सुनने के लिए प्रेरित करता है। अपना एक अच्छे परिचय देने के, दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने, जो भी बाते कहने जा रहे है उस विषय संबंधित बनाने, उसकी विश्वसनीयता स्थापित करने और मुख्य बिंदुओं का पूर्वावलोकन करने की आवश्यकता होती है। एक अच्छा आरम्भ वही है जिसमें कि लोग वक्ता से प्रभावित होते है और वक्ता की विश्वसनीयता स्थापित होती है।
किसी व्यक्ति को जब भी भाषण देने के लिए आमंत्रित किया जाता है और वह व्यक्ति जब पोडियम के सामने खड़ा होता हैं, तो उस समय सभी श्रोताओं की निगाहें उस वक्ता पर आ जाती हैं। उस क्षण सबकी एक उत्सुकता भी रहती है कि वक्ता क्या कहने जा रहा है। लोगों को कुछ नये प्रकार की बातें सुनने की भी उत्सुकता एवं व्यग्रता होती है। एक कुशल वक्ता को उनकी उम्मीदों को पूरी करने का प्रयास करना चाहिए।
जब भी वक्ता लोगों को सम्बोधित करता हैं तो सबसे पहले वहाॅ पर उपस्थित सभी लोगों को अपने से जोड़ना आवश्यक होता है। इसके लिए यह आवश्यक है कि सबको पूरे सम्मान के साथ सम्बोधित किया जाय। चूॅकि ऐसे जगहों पर बहुत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहते है। अतः सबका नाम ले पाना संभव नही हो सकता है। पर यह अच्छा होता है कि वहाॅ पर उपस्थित सभी मुख्य व्यक्तियों का नाम लिया जाये और इसके अतिरिक्त अन्य सबको समूह के तौर पर सम्बोधित कर दिया जाये।
यदि किसी प्रकार का मंच है तो फिर उस पर आसीन लोगों का नाम तो लिया ही जाना है। इसके अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण लोगों के भी नाम लिया जा सकता है। उदाहरण के लिए शैक्षणिक जगहों पर शिक्षक, छात्र, कर्मचारी जैसे समूह हो सकते हैं तो फिर इन समूहवाचक शब्दों से सबको सम्बोधित कर पाना संभव हो जाता है। शिक्षक, समुदाय, छात्र समुदाय, कर्मचारी समुदाय इसी प्रकार से अन्य समुदाय का नाम लेकर के उनको सम्बोधित किया जाता है।
https://en.wikipedia.org/wiki/Quit_India_speech
कई बार सम्बोधन आरम्भ के अवसर पर श्रोता समूह को एक लय में बाॅधने के लिए नारे भी लोगों से बुलवाते हैं। इस प्रकार के नारे कार्यक्रम के विषय के अनुसार ही होते है और राजनीतिक अवसर पर विशेष तौर पर इस्तेमाल किये जाते है। किसी भी कार्यक्रम में जब अपना वक्तव्य आरम्भ करते हैं तो सबसे पहले उपस्थित सभी लोगों का अभिवादन करना एक बहुत ही महत्वपूर्ण दायित्व होता है।
जिस किसी कार्यक्रम में भाग लेते है उसमें जो भी महत्वपूर्ण व्यक्ति होते है उन सबको सम्बोधित करना स्वयं उनके प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए। यह सम्बोधन भी बहुत ही सम्मानित ढंग से किया जाता है। ‘‘सभी को नमस्कार। मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित करने एवं कार्यक्रम में विचार रखने के लिए अवसर देने हेतु धन्यवाद।
विषय की रूप रेखा बताना –
किसी भी भाषण के सम्बोधन में प्रस्तुत किये जाने वाले विषय की रूप रेखा देना आवश्यक होता है। इसके माध्यम से श्रोताओं को प्रस्तुत किये जाने वाले विषय के बारे में पूर्व में एक समझ बन जाती है कि वे वक्ता से क्या सुनने जो रहे हैं। उद्घाटन अवसर यह निर्धारित करता है कि सामने सुनने वाले श्रोता आपकी प्रस्तुति में ‘‘ट्यून इन‘‘ कितनी देर तक करेंगे। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आरम्भ में किसी भी प्रकार से ऐसी बात नही कही जानी चाहिए जिसे सुनते करके दर्शक बोरियत महसूस करे। यदि वक्ता शुरू से ही अपने श्रोताओं को बोर करेगें, तो इस बात की बहुत कम संभावना है कि वक्ता का संदेश प्रभावी रूप से लोगों तक पहुँच पाएगा। जो कुछ भी बातें कहीं जाये, वे अपने आप में रोचक और प्रभावी होनी चाहिए।
रटे रटाये ढंग के शब्दों के इस्तेमाल एवं प्रस्तुति करने के ढंग से सर्वदा बचना चाहिए। ऐसा होने से रोकने के लिए किसी भाषण या प्रस्तुति को प्रभावी ढंग से रखना आवश्यक है। किसी भी भाषण या वक्तव्य को आरम्भ करने लिए विविध तरीके हैं। ये सभी अपने अपने ढंग से प्रभावी तरीके के रूप में जाने जाते हैं। किसी प्रकार के सम्बोधन में आरम्भ कैसे करना चाहिए, इसके बारे में विविध प्रकार के तौर तरीके अपनाये जा सकते है। यहाॅं पर सम्बोधन के आरम्भ को प्रभावी ढंग से करने के लिए कुछ प्रचलित तरीकों के बारे में चर्चा की गयी है।
उद्धरण देना
अपने सम्बोधन के अवसर पर आरम्भ में किसी एक प्रासंगिक उद्धरण के साथ देने से आपके बाकी भाषण के लिए एक आवाज या यह कहे टोन सेट करने में मदद मिल सकती है। उदाहरण के लिए, किसी वक्ता यह कथन कि ”बहुत ही सरल विषय पर बाते कहने के लिए मुझे सबसे अधिक मेहनत करना पड़ता है।“ किन्तु इस प्रकार के उद्धरण का अवसर से सम्बन्ध दिखना चाहिए। यदि यह बहुत स्पष्टतौर पर नही दिख रहा है तो फिर उसे उससे जोड़ करके दिखाने का प्रयास करना चाहिए जिससे कि उसकी सार्थकता दिखे।
खास विचार परिदृश्य
किसी एक काल्पनिक दृश्य, विचार देना भी भाषण को आरम्भ करने का एक रोचक तरीका होता है। अपने दर्शकों को अपने भाषण में तुरंत आकर्षित करने एवं खींचने अद्भुत काम करता है। ‘‘क्या होगा यदि‘‘ प्रश्न पूछना दर्शकों को आपकी विचार प्रक्रिया का पालन करने के लिए आमंत्रित करता है। ‘‘क्या होगा अगर हम सब लोग मांसाहारी हो जाये। फिर हमारी जिन्दगी कैसी होगी।“ इसी प्रकार से “क्या होगा यदि धरती का जल समाप्त हो जाये। क्या होगा यदि पूरे विश्व की जनसंख्या 10 अरब हो जाये।”
कल्पना परिदृश्य
एक समान विधि, लेकिन सनसनीखेज उदाहरणों के लिए अधिक प्रासंगिक। यह प्रत्येक सदस्य को एक असाधारण परिदृश्य की कल्पना करने की अनुमति देकर आपके दर्शकों के सदस्यों को सीधे प्रस्तुति में डालता है। । ‘‘कल्पना कीजिए कि बहुत ही विरान जगह पर जा रहे है और गाड़ी का ईधन समाप्त हो गया। कल्पना करें कि किसी जंगल में सबसे अलग हो गये और संचार को कोई साधन नही है।
प्रश्न पूछना Effective beginning in public speaking
अपना सम्बोधन आरम्भ करने का यह भी एक बहुत ही रोचक तरीका है । इसमें कि आरम्भ में ही कोई ऐसा प्रश्न कर दिया जाता है जिसे कि पहले सामान्यतौर से न पूछा गया हो। एक अलंकारिक या शाब्दिक प्रश्न पूछा जा सकता है। जब किसी के सामने कोई प्रश्न खड़ा होता है, चाहे इसका उत्तर मांगा गया है या नहीं, तो वह व्यक्ति सहज भाव से उत्तर देता है। उदाहरण के लिए “कौन व्यक्ति अन्तरिक्ष की सैर नही करना चाहेगा।“ इसी प्रकार से “कौन व्यक्ति यात्रा नही करना चाहता है “।
Effective beginning in public speaking
हाल की घटना को सन्दर्भित करना –
किसी प्रकार की हाल की घटना, चर्चित महत्वपूर्ण व्यक्ति या फिर पूर्व वक्ता द्वारा बोले गये बातों को ले करके सन्दर्भित करना भी विषय का प्रस्तावित करने का एक तरीका है। इसमें श्रोता इस बात को जानने के लिए उत्सुक रहते है कि किस प्रकार से इसे बोले जाने वाले विषय से जुड़ा हुआ है। ऐसे विषय लिया जाना चाहिए जो कि सन्दर्भयुक्त हो और लोग उसमें रूचि लेते हो। महाभारत काल को कुछ लोग कपोल कल्पना मानते हैं, किन्तु भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हाल के उत्खनन से मिले प्रमाण से यह साबित हो ता है कि यह एक सत्य घटना थी।
श्रोताओं को जोड़ना –
श्रोताओं को सन्दर्भित करना भी ध्यान आकृष्ट करने का एक तरीका है। इस प्रकार से सन्दर्भित करने से उपस्थित श्रोताओं का ध्यान उसकी तरफ खींच जाता है, क्योकि उन्हे इसमें शामिल किया गया है। श्रोताओं से जुड़ी कोई किसी प्रकार की ऐसी बात को कहते है जो कि उन्हे वह अपील कर जाये।
सांख्यिकीय – एक बहुत ही प्रभावी किन्तु छोटा आंकड़ा भी लोगों को प्रभावित करता है। यदि विभिन्न वर्षो के साइबर अपराध को प्रस्तुत करते हुए समाज में नैतिकता के पतन के बारे में जानकारी दी जाये। इस प्रकार के आंकड़ों में एक आश्चर्यजनक, शक्तिशाली, आँकड़ा का उपयोग किया जाना चाहिए। यह दर्शकों के साथ आपके संदेश को तुरंत प्राप्त करने के लिए उपयोगी होगा।
शक्तिशाली कथन /वाक्यांश –
आप आगे क्या कहने वाले हैं, इस बारे में अनुमान लगाकर एक कथन या वाक्यांश दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर सकता है। बाद में गंभीर हो करके या कुछ मौन रहने से भी प्रभाव में वृद्धि होती है। विभिन्न विषयों पर बहुत ही महत्वपूर्ण और अच्छी पुस्तकें लिखी गयी है। इसमें से किसी वाक्यांष को बोला जा सकता है।
पुस्तकों का वर्णन -Effective beginning in public speaking
हमारा जो भी ज्ञान है वह विविध प्रकार के स्रोतों से प्राप्त किया जाता है। अतः किसी महत्वपूर्ण पुस्तक की चर्चा करके फिर हम उसमें दिये जाने वाले विषय पर कही गयी बातों को सामने लाते है जिससे कि श्रोताओं का ध्यान आकृष्ट होता है।
इसे भी पढ़ें https://mediastudyworld.com/telepathy-communication/
क्षणिक मौन –
सम्बोधन के आरम्भ में मौन या कुछ देर तक शान्त रहना भी लोगों के ध्यान को आकृष्ट करने का एक तरीका होता है। यह किसी अवसर को गंभीर बना देता है। लोग बहुत ही सामान्यतौर पर लोग वक्ता से तत्काल बोलने की उम्मीद करते है, किन्तु जब बोलने से पहले थीेड़ी मौन रख दिया जाता है तो वह लोगों को ध्यान खीेचने एवं उत्सुकता जगाने का कार्य करता है। यह विराम, चाहे दो सेकंड हो या दस सेकंड, किन्तु यह दर्शकों को बैठने और शांत होने का अवसर देता है।
निष्कर्ष – Effective beginning in public speaking
सम्बोधन के अवसर लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकृष्ट करना बहुत ही आवश्यक होता है। इसके लिए उपर बताये गये विविध तरीकों के अतिरिक्त अन्य बहुत से भी ऐसे तरीके है जो कि वक्ता स्वयं अपने ढंग से विकसित कर सकता है और उसे अपना करके एक प्रभावी आरंभ कर सकता है ।