December 23, 2024

टीवी कार्यक्रम में ग्रैफिक्स

Graphics  provides additional and alternative information

Graphics in TV Programme


Graphics in TV Programme play an important role in effective presentation of it. This article describes important aspects of it.

किसी प्रकार के टीवी वीडियो कार्यक्रम में ग्रैफिक्स उसका एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग होता है। टीवी पर प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों के बारे में विभिन्न प्रकार की सूचना देने से लेकर के कार्यक्रम के अंतर्गत में कई प्रकार की पूरक या वैकल्पिक ढंग से बहुत से बातों की जानकारी देने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।

किसे कहते हैं ग्रैफिक What is Graphic in TV Programme

जब हम ग्रैफिक की बात करते हैं कि इसका आशय द्विविमीय या त्रिवीमिय आकार वाले पटल पर दिखने अथवा किसी अन्य रूप में प्रदर्शित करने वाले वे सभी प्रकार की सूचनाएं होती हैं जो कि टेक्स्ट से लेकर के अन्य रूपों में टीवी स्क्रीन प्रस्तुत की जाती हैं। वर्तमान में ग्रैफिक का इस्तेमाल किसी प्रकार के विषय वस्तु के निर्माण से पूर्व उसकी डिजाइन तैयार करने के सन्दर्भ में भी होता है।

ग्रैफिक का उद्देश्य एवं महत्व –Objectives and importance of Graphics in TV Programme


वैसे तो ग्रैफिक का उद्देश्य सूचना देना होता है, किन्तु कार्यक्रम का एक अन्य उद्देश्य दर्शकों के टीवी पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रम के विषय के प्रति आत्मीयता एवं भावनात्मक लगाव जागृत करना या पैदा करना होता है। किन्तु कार्यक्रम के आरंभ में प्रस्तुत किए जाने वाले शीर्षक के माध्यम से कार्यक्रम में दिखाए जाने वाले विषय के संदर्भ में दर्शकों को उनके मन में एक अनुभव, एहसास एवं उसके प्रति एक लगाव एवं जुड़ाव उत्पन्न किया जा सकता है। यह ध्यान आकृष्ट करने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्रोत है। विभिन्न प्रकार के टीवी समाचारों में तो इसका विशेष तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।


ग्राफिक के माध्यम से कार्यक्रम विषय को ध्यान में रखकर के उसी दृश्य प्रस्तुत करके कार्यक्रम के प्रति दर्शकों के मन में एक प्रकार की आत्मीयता का भाव पैदा किया जा सकता है। यह किसी प्रकार की सूचना को बहुत ही प्रभावी अन्दाज में प्रस्तुत कर सकता है। इससे किसी दृष्य के सन्दर्भ में प्रस्तुत की जाने वाली बातों में आवष्यक पूरक बातें प्रस्तुत की जा सकती है।
किसी प्रकार के जटिल विषय को ग्रैफिक सरल ढंग से प्रस्तुत करता है। वे बातें जो कि टैक्स्ट के द्वारा स्पष्ट नही होती हैं, उन्हे ग्रैफिक आसानी के साथ स्पष्ट कर देता है। ग्रैफिक विविध प्रकार के दृश्य के विकल्प के तौर पर भी या फिर पूरक जानकारी देने के सन्दर्भ में भी इस्तेमाल किया जाता है।


कंप्यूटर और ग्रैफिक


कंप्यूटर ने ग्रैफिक्स क्षेत्र में क्रांति ला दिया है। कंप्यूटर आने के बाद ग्रैफिक के क्षेत्र में बहुत तेजी से प्रगति हुई है। विभिन्न प्रकार के दृश्य एवं विज्ञापन में दिखाए जाने वाले आश्चर्यजनक दृश्य सभी कंप्यूटर ग्राफिक के उदाहरण है। कंप्यूटर ग्राफिक की मदद से सूचनाओं को विविध प्रकार के अक्षरों में लिखा जा सकता है। किसी भी ग्रैफिक का कोई भी भाग पाठ तक किसी अन्य स्थान पर लगा सकते हैं। अपने बनाए गए चित्र को हार्ड ड्राइव में स्टोर किया जा सकता है । उन्हें उसी रूप में अथवा उसमें आवश्यक संशोधन लाकर उसे स्क्रीन पर प्रस्तुत किया जा सकता है।

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ग्रैफिक निर्माण में साफ्टवेयर


ग्रैफिक डिजाइन में विविध प्रकार के साफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है। इसकी मदद से बहुत ही बारीकी के साथ विविध प्रकार के ग्रैफिक का बहुत ही आसानी के साथ निर्माण किया जा सकता है। एक अन्य अध्याय में इसके बारे में विस्तार से चर्चा किया गया है।


ग्रैफिक को विविध प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है। ग्रैफिक में दिये जने वाली सामग्री के आधार पर इसको मुख्यतः तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं। प्रथम वर्ग में ऐसे ग्रैफिक आते हैं जो कि कार्यक्रम से संबंधित विभिन्न प्रकार की ऑब्जेक्टिव सूचनाएं उपलब्ध कराते हैं। इसके अंतर्गत किसी भी कार्यक्रम के निर्माता, निर्देशक, विभिन्न कलाकार, सेट निर्माता, फोटोग्राफर, निर्माता-निर्देशक, स्क्रिप्ट लेखक आदि कार्यक्रम भागीदारों के नामों के साथ साथ कार्यक्रम निर्माण समय एवं स्थल का विवरण दिया जा सकता है।


विषय सामग्री के आधार पर ग्रैफिक का वर्गीकरण


दूसरी प्रकार की ग्रैफिक के अंतर्गत सब्जेक्टिव भावाभिव्यक्ति करते हुए ग्रैफिक निर्मित किए जाते हैं। इस प्रकार के ग्रैफिक चित्रों के माध्यम से दिख जाते हैं। ये हाथ से बने हुए हो सकते हैं या फिर कैमरे द्वारा खींचे गए भी हो सकते हैं। वर्तमान में कम्प्यूटर डिजाइन साफ्टवेयर की मदद से बहुत ही अच्छे सुन्दर ग्राफिक बनाये जा सकते हैं। यह बहुत ही आसानी के साथ एवं प्रभावी ढंग से बनाये भी जा सकते है।


तीसरे प्रकार के ग्रैफिक के अंतर्गत वे सूचनाएं आती हैं, जो कार्यक्रम के बीच में प्रदान की जाती है। इस प्रकार के ग्रैफिक मुख्यतः शैक्षिक, ज्ञानवर्धक एवं सूचना पर कार्यक्रमों में दिखाए जाते हैं। किंतु बहुत से अन्य धारावाहिकों में भी प्रसंगवश इस वर्ग के अंतर्गत आने वाले ग्रैफिक्स को दिखाया जाता है।


इस प्रकार के ग्रैफिक के अंतर्गत नक्शा, चार्ट एवं अन्य प्रकार के सामग्री आते हैं। इसी तरह से विविध प्रकार के विषय को ध्यान में रख करके उससे सम्बन्धित ग्रैफिक दिये जाते है। मौसम समाचार देते समय दिखाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के नक्शे एवं सारणी इस वर्ग के अंतर्गत आने वाले ग्रैफिक का एक अच्छा उदाहरण हैं।


ग्राफिक निर्माण में ध्यान देने योग्य बातें points to consider in TV graphics

ग्राफिक निर्माण सबसे पहले ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिस ग्रैफिक पर सूचना दी जा रही है, उसका आकार टीवी स्क्रीन के ही अनुपात में हो। इसका मुख्य कारण यह है कि टीवी स्क्रीन की लंबाई चौड़ाई का अनुपात में होने पर ही उसे सही प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है। इस प्रकार इसी अनुपात में तैयार किए गए ग्रैफिक्स को टीवी स्क्रीन पर संतुलित रूप में दिखाने में सुविधा होती है। वर्तमान में विविध प्रकार के अनुपात में स्क्रीन का विकल्प उपलब्ध होते है। उसी के अनुसार अब ग्रैफिक के लम्बाई एवं चौड़ाई को निर्माण किया जाता है।


वैसे हाथ से बने बहुत से ऐसे दिल से होते हैं जिनमें इस सिद्धांत को अमल में लाना मुश्किल है अथवा इसका प्रयोग करना संभव नहीं है। उदाहरण के लिए किसी बहुत लंबे अथवा चौड़े दृश्य को एक साथ दिखाने में ग्रैफिक निर्माण के 3ः4 के संबंध को रखकर दिखाना मुश्किल है। ऐसा दिखाने पर प्रायः अवांछित दृश्य को भी शामिल करना पड़ता है। ऐसे ही स्थितियों में प्रायः थोड़े-थोड़े अथवा टुकड़े में दृश्य निरूपण किया जाता है।

Graphics in TV Programme


Graphics in TV Programme टीवी ग्रैफिक निर्माण के दौरान यह भी ध्यान देना पड़ता है कि कैमरा परसन द्वारा जो स्केच कैमरा के लेंस के जो दृश्य लिया जा रहा है एवं टीवी पर्दे पर जो चित्र दिखाई देता है, उन दोनों में कुछ अंतर होता है। स्टूडियो के अंदर उपयोग में लाए जाने वाले ग्रैफिक के बाहरी किनारे पर्दे पर दिखने की कुछ कम संभावना होती है। ग्रैफिक निर्माण के समय इस बात के प्रति सतर्क रहना पड़ता है कि प्रसारण के समय टीवी पर्दे पर व्यक्ति के किनारे के कुछ भाग अथवा पूरा भाग कट भी सकता है।

इसे भी पढ़ें- ग्राफिक डिजाइन


उक्त बातों को ध्यान में रखते हुए ग्रैफिक के निर्माण के समय उसके किनारे वाले भाग को बिल्कुल खाली रखा जाता है। इस क्षेत्र में किसी प्रकार की कोई सूचना नहीं दी जाती है। इस भाग को डेड एरिया अथवा मृत क्षेत्र कहते हैं। इसका उपयोग ग्रैफिक के पकड़ने उसको पहचान देने के लिए चिन्हित करने जैसे कार्यों के लिए किया जाता है। ग्रैफिक के सर्वाधिक किनारे वाले भाग के बाद जो आता है, उसे स्कैंड एरिया कहते हैं। इसे पिक्चर क्षेत्र एवं एक्सपोज क्षेत्र भी करते हैं।


एक्सपोज्ड क्षेत्र के अंदर स्थित क्षेत्र को सेफ टाइटल एरिया कहते हैं। इस क्षेत्र में प्रसारण के लिए आवश्यक दृश्य को शामिल करते हैं। इसमें स्थित पिक्चर को प्रसारित करना अथवा पर्दे पर रखना दिखाना सुरक्षित रहता है। सुरक्षित क्षेत्र एवं स्कैन क्षेत्र के बीच किस क्षेत्र को पूरक क्षेत्र कहते है।


ग्रैफिक निर्माण में इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि उस पर प्रस्तुत सामग्री पठनीय, संक्षिप्त एवं सीधे-साधे शब्दों में हो। वह किसी भी ग्रैफिक में पॉच छः से ज्यादा पॅक्ति नहीं होनी चाहिए। एक ही ग्रैफिक पर ज्यादा बातें देने से बेहतर है कि उन्हे दो ग्रैफिक पर प्रस्तुत किया जाये। ग्रैफिक पर पर जो कुछ भी लिखा हुआ हो वह स्पष्ट मोटे एवं प्रत्येक शब्द एक दूसरे से स्पष्ट रुप से अलग अलग होने चाहिए जिससे कि टीवी स्क्रीन पर दर्शक उसे आसानी से पढ़ सकें। अत्यधिक करीब पतले अक्षरों में शब्दों से बोझिल सूचना को टीवी पर्दे पर दशाना निरर्थक है।


बोर्ड पर बनाए गए अथवा लिखी गई सूचना टीवी पर्दे पर पठनीय होगी कि नहीं उसे जानने का एक आसान तरीका यह है कि ग्रैफिक्स पर आपको थोड़ा पीछे करके देखा जाए । यदि उस पर लिखी सामग्री में से कुछ शब्द स्पष्ट ढंग से दिखाई न दे तो इसका अर्थ यह है कि वह ग्रैफिक प्रसारण योग्य नहीं है। ग्रैफिक को स्क्रीन पर बहुत देर तक नहीं दिखाया जाता है । अतः उसकी संपूर्ण रचना किस ढंग से होनी चाहिए कि वह दर्शकों पर तात्कालिक प्रभाव छोड़ सके । ग्राफिक में विस्तृत विवरण को हटा दिया जाना चाहिए। सिर्फ महत्वपूर्ण बातों को देना चाहिए।


ग्रैफिक में दिखाए जाने वाले दृश्य प्रस्तुत करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए इसके कारण लिखित सामग्री को टीवी पर प्रस्तुत करते समय उसकी पठनीय पर पर कोई प्रभाव न पड़े। ग्रैफिक के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि दिखाया जाने वाला दृश्य भले ही अत्यंत प्रभावी एवं आकर्षक हो, किंतु उसके साथ यदि लिखित सूचना भी दी जा रही है तो उसका मुख्य उद्देश्य यही होना चाहिए कि उसे दर्शक आसानी से प्राथमिकता के साथ पढ़ ले।

Graphics in TV Programme

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