December 23, 2024

Reality in news- Presentation of reality in news is an ideal state of journalism. There are several factors which affect the description of truth and and reality in news in various media .

समाचारों में वास्तविक वर्णन की सीमा Reality in news

हम प्रतिदिन बड़ी संख्या में विभिन्न प्रकार के समाचार को देखते, सुनते और पढ़ते हैं और उसके अनुसार हम घटनाओं के बारे में अपने मन में कल्पनाएं करते हैं और अनुमान लगाते हैं । समाचार देखने सुनने के आधार पर ही हम घटनाओं के विविध पक्षों का एक अनुमान लगाते हैं। लेकिन घटनाओं के बारे में जो अनुमान लगाते है, उसकी सत्यता एवं वास्तविकता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि हमारे समक्ष समाचारों को कैसे प्रस्तुत किया गया है।

TV news बदल गया टीवी माध्यम पर समाचारों के प्रस्तुति का अंदाज


हमें इस बात को भी ध्यान रखना है कि समाचार माध्यमों द्वारा किसी घटना के बारे में दी गई जानकारी की भी अपनी एक सीमा होती है। माध्यम एक सीमा तक ही किसी घटना के बारे में जानकारी दे पाते हैं। इसलिए घटना के बारे में समाचार के आधार पर एक सीमा तक ही हमारी जानकारी एवं विचार सही बन पाते हैं। यहां पर आगे ऐसे कारकों एवं पक्षों की चर्चा की गयी है जिस कारण से घटना के बारे में बहुत ही कम या एक सीमा के भीतर ही समाचार एवं जानकारी reality in news दे पाते हैं।


समाचारों के प्रस्तुत करने के तौर तरीके के अनुसार हम घटनाओं के बारे में अनुमान लगाते हैं। एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि समाचार को यदि प्रमुखता से प्रस्तुत किया गया है तो फिर उसें हम महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखते हैं। जैसे यदि कोई समाचार बड़े-बड़े शीर्षकों में दिया गया है या टीवी में आरम्भ में प्रमुखता के साथ सुनाया जाता तो सामान्य तौर पर उसे महत्वपूर्ण समाचार के रूप में देखा जाता है और फिर उस घटना के प्रति हमारी जागरूकता एवं सजगता बढ़ जाती है।

Media Effect कैसे पड़ता है लोगों पर मीडिया का प्रभाव


समाचार माध्यमों की अपनी नीति भी समाचार देने के सन्दर्भ में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जनमाध्यमों की नीति के अन्तर्गत समाचार देने की भाषा एवं अन्य प्रस्तुति एवं तौर तरीके का निर्धारण किया जाता है। इसी के अन्तर्गत यह भी तय किया जाता है कि किसके पक्ष एवं किसके खिलाफ या किसी निंदा करनी है और किसकी निंदा नही करनी है। यह कह सकते हैं कि नीति के अनुसार ही किसके पक्ष में कैसे समाचार देना है। जनमाध्यमों की नीति को ध्यान में रख करके ही उसमें कार्य करने वाले सभी रिपोर्टर एवं अन्य पत्रकार समाचारों का चयन एवं प्रस्तुति करते रहते हैं। इस प्रकार की नीति प्रायः विज्ञापन कंपनी , राजनीतिक दल, किसी खास व्यक्ति, पद आदि को ध्यान में रख करके भी तैयार की जाती है।


समाचार में वास्तविकता Reality in news प्रस्तुत करने में रिपोर्टर का अपने व्यक्तित्व , नजरिए का महत्वपूर्ण स्थान होता है। कोई समाचार कब, कहॉ से एवं कैसे प्रकाशित किया गया है, उसके अनुसार भी उसका प्रभाव होता है। यह बात स्थानीय स्तर से ले करके राष्ट्रीय स्तर के सामाचारपत्रों पर लागू होता है। उदाहरण के लिए यदि संसद का सत्र चल रहा होता है, तो फिर सरकार के खिलाफ किसी समाचार प्रकाशित होने पर विपक्ष द्वारा उस पर अधिक चर्चा एवं हंगामा किया जाता है। सम्बन्धित जिले, राज्य में प्रकाशित एवं प्रसारित समाचार का उस जिले, राज्य में अधिक प्रभाव होता है। समाचार किस माध्यम से प्रसारित हुआ उसके अनुसार उसका महत्व होता है। महत्वपूर्ण समाचारपत्र एवं चैनल पर प्रसारित होने पर वह लोगों के ध्यान में अधिक आता है। इसी प्रकार से अमेरिका एवं ब्रिटेन जैसे कुछ देशों में हमारें देश के बारे में प्रकाशित हमारे लिए चर्चित एवं महत्वपूर्ण समाचार हो जाते है। समाचारों में घटनाओं का जितना अधिक फालो अप एवं बैकग्राउंड दिया जाता है , उसके अनुसार ही लोगों को उसके बारे में अधिक वास्तविक बातों की जानकारी मिल पाती है। इसी प्रकार, जो व्यक्ति, संगठन मीडिया से अधिक संपर्क रखते हैं और उनका जनसंपर्क अच्छा होता है उनके बारे में मीडिया में अधिक समाचार भी निकलते हैं

BBC Documentary भारत का विरोध करना बीबीसी की पुरानी आदत


समाचारों को सनसनीखेज अन्दाज में देना जनमाध्यमों की एक सामान्य आदत होती है। ऐसा वह समाचारों के प्रति ध्यान आकर्षित करने के लिए करते हैं। इससे प्रायः समाचारों में असंतुलन भी हो जाता है। समाचार के संदर्भ में एक बात यह भी महत्वपूर्ण है कि उस विषय के बारे में कितनी जानकारी उपलब्ध हो पाई है उसके अनुसार ही उतनी ही सत्य बातें सामने आ पाती हैं । समाचार माध्यम किसी घटना के बारे में तब तक ही चर्चा करता है, जब तक कि उसे लगता है कि यह लोगों के लिए एक रुचि का विषय बना हुआ है। यदि कोई अन्य समाचार मिल जाता है तो फिर वह उसका स्थान ले लेता है। अपराध, दुर्घटना, राजनीति, सेलीब्रेटी आदि से जुड़े समाचार सामान्यतौर पर अधिक प्रस्तुत किये जाते है। वहीं, कई बार कोई ऐसी भी घटना घट जाती है, जिसके बारे में यदि सम्बधित व्यक्ति या संगठन आदि के नुकसान होने की आशंका रहती रही, तो फिर ऐसे लोग समाचारों को रोकने का भी प्रयास करते हैं।


समाचारपत्र जैसे माध्यम में स्थान और समय की उपलब्धता की किसी घटना के बारे में समाचार को स्थान देने में बहुत ही महत्वपूर्ण कारक होता है। यदि किसी घटना के बारे में समाचार समय से नहीं उपलब्ध हो पाता है, तो फिर उस तिथि को प्रकाशित होने वाले समाचारपत्रों में वह अपना स्थान नहीं बना पाता है। इसी प्रकार, जिस किसी घटना के बारे में समय पर सही प्रकार से जानकारी नहीं मिली होती है अथवा कम जानकारी होती है तो फिर उसके अनुसार ही समाचार का स्वरूप निर्धारित होता है। कई बार किसी बड़ी घटना के बारे में देर से जानकारी मिलने के कारण उसके बारे में रिपोर्टिंग नहीं की जाती अथवा बहुत ही संक्षेप में रिपोर्टिंग दी जाती है। इसी प्रकार से बहुत सीे ऐसी घटनाएं भी होती हैं, जिन्हे कि किसी कारणवश प्रचारित किया जाना रहता है तो फिर जनमाध्यमों द्वारा उसे वरियता के तौर पर दिया जाता है। वर्तमान में पेड समाचार एवं फेक समाचार का भी प्रचलन हो गया है।


समाचार देने के सन्दर्भ में एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू गेटकीपिंग का भी है। इसके अनुसार किसी घटना के बारे में समाचार देने से पहले वह कई गेट या जगहों से हो करके गुजरता है। यहॉं पर गेट का आशय उन व्यक्तियों से है जो कि समाचार आगे प्रस्तुत करने में अपनी भूमिका निभाते हैं। जनमाध्यम में रिपोर्टर से ले करके समाचार सम्पादक तक माध्यम में क्या समाचार में क्या देना है, उसके बारे में निर्णय लेते है। इनके अपने नजरिया, तौर तरीके समाचार की वास्तविकता को प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण होते है।

समाचार माध्यमो में किसी घटना से सम्बन्धित कई बातें नही दी जा सकती हैं। इसमें आचार संहिता एवं निजता जैसे विषयों से जुड़ी हुई होती है। इसलिए किसी घटना के ऐसे पक्षों के बारे में कानूनी एवं नैतिक बाध्यता के कारण समाचार माध्यम कोई जानकारी नही देते हैं। इससे उन्हे कठिनाई का सामना पड़ सकता है। इसी प्रकार से गोपनीय घोषित किये गये विषय के बारे में भी समाचार नही दिये जाते है। इसलिए घटनाओं के ऐसे पहलू के बारे में लोग अनजान रहते हैं अथवा सिर्फ अनुमान लगाते हैं। Takiya Kalam बोलचाल में तकिया कलाम

जनमाध्यम के लिए विज्ञापन ही आय का मुख्य श्रोत होता है। विज्ञापन कम्पनियों का समाचार माध्यमों पर अपने ढंग से एक स्वाभाविक दबाव होता है। इसलिए समाचार माध्यम उन व्यक्तियों एवं कम्पनियों से सम्बद्ध उत्पाद, संगठन आदि के खिलाफ समाचार देने से बचते हैं। सामान्यतौर पर वे इनके बारे में कोई भी नकारात्मक समाचार नही देते हैं और ऐसे समाचार वे तभी देते हैं, जब वे इतने महत्वपूर्ण और चर्चित होते हैं कि उन समाचार को न देने से उनका यानि जनमाध्यमों की विश्वसनीयता का ही नुकसान होने की आशंका होती है। समाचारों एवं इससे जुड़े कार्यक्रमों के सम्पूर्ण प्रस्तुति के तौर तरीके को मल्टीनेशनल कम्पनियां अमेंरिका आदि विकसित देशों में बहुत पहले से नियंत्रित करती आयी हैं। इसलिए इसमें समाचार से ले करके अन्य प्रकार के विषय सामग्री का अपना एक निश्चित दायरा होता है।


समाचारपत्र एवं टीवी जैसे वे माध्यम जिस पर कि पाठक एवं दर्शक का कोई नियंत्रण नही होता है। इसलिए समाचारपत्रों एवं टीवी कार्यक्रमों में विज्ञापन दिखाने के तौर तरीके का निर्धारण जनमाध्यम अपने ढंग से करते हैं। जब अधिक मात्रा में विज्ञापन आते हैं तो फिर समाचारपत्र तो एक सीमा तक ही पेजों को तो बढ़ाते हैं , किन्तु वे समाचारों को कम कर देते हैं और वे समाचारों को छोटा भी कर देते हैं।


सरकार द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर जनमाध्यमों पर कोई प्रत्यक्ष नियंत्रण या दबाव नही रहता है, किन्तु कई बार बहुत से जनमाध्यम सरकार के खिलाफ वे समाचार देने से बचते हैं । किंतु सरकार की मीडिया के साथ व्यवहार ही पत्रकारों को उनकी पत्रकारिता करने के संदर्भ में एक संकेत दे देता है बहुत से पत्रकार सरकार के पक्ष अथवा विपक्ष में बहुत ही खुलकर के पत्रकारिता करते हैं । पत्रकारों की अपनी स्थित, सेवा शर्त की स्थिति भी उन्हें सरकार के संदर्भ में समाचार देने के पहलू को प्रभावित करती है । जनमाध्यम को सरकारी विज्ञापन से वंचित किये जाने की आशंका रहती है। इसी प्रकार जो जनमाध्यम अन्य प्रकार के क्रिया कलापों या कारोबार को करते हैं, उनमें उन्हे आगे किसी प्रकार के विभागीय अड़चन करने के डर की आशंका से भी वे व्यवस्था की लोगों द्वारा आलोचना किये जाने वाले समाचार देने से बचते हैं अथवा उसकी प्रस्तुति का अंदाज बदल देते हैं । सरकार एवं अधिकारियों का संरक्षण पाने की जनमाध्यमों एवं पत्रकारों की महत्वाकांक्षा के कारण भी उनके द्वारा नकारात्मक समाचारों को नही दिये जाते हैं। इस कारण बहुत बड़ी संख्या में ऐसे महत्वपूर्ण जन समाचार लोगों की नजर से छूट भी जाते है जो कि समाज की कहीं अधिक वास्तविकता को प्रस्तुत कर सकते हैं और जिन्हें दिए जाने की अति आवश्यकता होती है। वहीं पर,बहुत से पत्रकार सरकार के पक्ष अथवा विपक्ष में बहुत ही खुलकर के पत्रकारिता करते हैं । और वे इसके लिए खुले तौर पर जाने भी जाते हैं


सरकार द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर जनमाध्यमों पर कोई प्रत्यक्ष नियंत्रण या दबाव नही रहता है, किन्तु कई बार बहुत से जनमाध्यम सरकार के खिलाफ वे समाचार देने से बचते हैं । किंतु सरकार की मीडिया के साथ व्यवहार ही पत्रकारों को उनकी पत्रकारिता करने के संदर्भ में एक संकेत दे देता है बहुत से पत्रकार सरकार के पक्ष अथवा विपक्ष में बहुत ही खुलकर के पत्रकारिता करते हैं । पत्रकारों की अपनी स्थित, सेवा शर्त की स्थिति भी उन्हें सरकार के संदर्भ में समाचार देने के पहलू को प्रभावित करती है । जनमाध्यम को सरकारी विज्ञापन से वंचित किये जाने की आशंका रहती है। इसी प्रकार जो जनमाध्यम अन्य प्रकार के क्रिया कलापों या कारोबार को करते हैं, उनमें उन्हे आगे किसी प्रकार के विभागीय अड़चन करने के डर की आशंका से भी वे व्यवस्था की लोगों द्वारा आलोचना किये जाने वाले समाचार देने से बचते हैं अथवा उसकी प्रस्तुति का अंदाज बदल देते हैं । सरकार एवं अधिकारियों का संरक्षण पाने की जनमाध्यमों एवं पत्रकारों की महत्वाकांक्षा के कारण भी उनके द्वारा नकारात्मक समाचारों को नही दिये जाते हैं। इस कारण बहुत बड़ी संख्या में ऐसे महत्वपूर्ण जन समाचार लोगों की नजर से छूट भी जाते है जो कि समाज की कहीं अधिक वास्तविकता को प्रस्तुत कर सकते हैं और जिन्हें दिए जाने की अति आवश्यकता होती है। वहीं पर,बहुत से पत्रकार सरकार के पक्ष अथवा विपक्ष में बहुत ही खुलकर के पत्रकारिता करते हैं । और वे इसके लिए खुले तौर पर जाने भी जाते हैं


सरकार द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर जनमाध्यमों पर कोई प्रत्यक्ष नियंत्रण या दबाव नही रहता है, किन्तु कई बार बहुत से जनमाध्यम सरकार के खिलाफ वे समाचार देने से बचते हैं । किंतु सरकार की मीडिया के साथ व्यवहार ही पत्रकारों को उनकी पत्रकारिता करने के संदर्भ में एक संकेत दे देता है । पत्रकारों की अपनी स्थित, सेवा शर्त की स्थिति भी उन्हें सरकार के संदर्भ में समाचार देने के पहलू को प्रभावित करती है । जनमाध्यम को सरकारी विज्ञापन से वंचित किये जाने की आशंका रहती है। इसी प्रकार जो जनमाध्यम अन्य प्रकार के क्रिया कलापों या कारोबार को करते हैं, उनमें उन्हे आगे किसी प्रकार के विभागीय अड़चन करने के डर की आशंका होती है ।वे व्यवस्था की लोगों द्वारा आलोचना किये जाने वाले समाचार देने से बचते हैं अथवा उसकी प्रस्तुति का अंदाज बदल देते हैं । सरकार एवं अधिकारियों का संरक्षण पाने की जनमाध्यमों एवं पत्रकारों की महत्वाकांक्षा के कारण भी उनके द्वारा नकारात्मक समाचारों को नही दिये जाते हैं। इस कारण बहुत बड़ी संख्या में ऐसे महत्वपूर्ण जन समाचार लोगों की नजर से छूट भी जाते है जो कि समाज की कहीं अधिक वास्तविकता को प्रस्तुत कर सकते हैं और जिन्हें दिए जाने की अति आवश्यकता होती है। वहीं पर,बहुत से पत्रकार सरकार के पक्ष अथवा विपक्ष में बहुत ही खुलकर के पत्रकारिता करते हैं । और वे इसके लिए खुले तौर पर जाने भी जाते हैं ।

Speed of speech किस गति से हम करते हैं बातचीत


समाचारों को जगह देने में कई प्रकार की स्थितियों की भी अपनी भूमिका होती है। यदि एक ही दिन कई बड़ी घटनाएं हो गयी रहती है , तो फिर उस स्थिति में समाचारपत्र एवं टीवी रिपोर्टर एवं सम्पादक पर निर्भर करता है कि किसे वह अधिक प्रमुखता के साथ प्रस्तुत करें। वे उन्हे जिस प्रकार से प्रस्तुत करते हैं, उसी के अनुसार हम उसे कम या अधिक महत्व के समाचार के तौर पर देखते है। कई बार इसके कारण ऐसे बहुत से वे समाचार छूट जाते हैं या कम जगह पाते है जो कि अन्यथा काफी प्रमुखता के साथ प्रस्तुत किये जा सकते हैं।

Radio slogan किसे कहते हैं रेडियो स्लोगन
समाज के बारे में किसी प्रकार की वास्तविकता जानने के सन्दर्भ में जनमाध्यमों पर निर्भर रहने पर एक सीमा तक या कई बार तो कुछ सन्दर्भो में बिल्कुल भिन्न प्रकार की बातें सामने आती है। टीवी माध्यम पर लगातार नये समाचार प्रस्तुत करने का दबाव एवं आवश्यकता होती है। इसलिए अधिकतर घटनाओं की एक झलक दे करके फिर वे उसके बारे में और जानकारी नही देते है। वे सभी प्रकार की घटनाओं का समाचार भी नही देते हैं। जनमाध्यम पर समाज के हर प्रकार के घटना के बारे में जानकारी के लिए निर्भर रहना भी व्यवहारिक नहीं है। वह बातें, घटनाएं जो कि जनमाध्यम तक नहीं पहुंच पाती हैं, वह समाचार के रूप में नहीं दिए जाते हैं।


इस प्रकार एक आम पाठक एवं दर्शक किसी समाचारपरक घटना के सन्दर्भ में जो कुछ देखता है, उसके आधार पर प्रत्येक घटना के बारे में विचार बनाना किसी भी प्रकार से समझदारी नही हो सकती है। वहीं पर, इसके माध्यम से समाज के बारे में सब कुछ जानने की चाह रखना भी किसी भी प्रकार से संभव नही हो सकता है। अतः जब कोई व्यक्ति किसी विषय के बारे में सही जानकारी चाहता है, तो फिर उसे हर प्रकार से सिर्फ जनमाध्यमों पर निर्भर रहने के बजाय अपने अन्य स्रोतों से भी वास्तविक समाचार Reality in news के लिए जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

Reality in news इस लेख पर कृपया आप अपने विचार अवश्य दें । इससे इसे बेहतर करने में मदद मिलेगी

error: Content is protected !!