This article discusses about radio discussion program रेडियो परिचर्चा कार्यक्रम
रेडियो पर विविध कार्यक्रम प्रसारित होते हैं http://Radio program रेडियो परिचर्चा कार्यक्रम रेडियो का एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें कि किसी विषय या मुद्दे पर उससे से संबंधित व्यक्ति अपने विचार व्यक्त करते हैं और ऐसे कार्यक्रम स्टूडियो अथवा आउटडोर दोनों जगहों पर आयोजित किए जा सकते हैं । ऐसे कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने का तरीका थोड़ा थोड़ा भिन्न भी हो सकता है। जब यह कार्यक्रम स्टूडियो में किया जाता है , उस स्थिति में प्रायः श्रोताओं की सजीव भागीदारी नहीं होती हैं । कार्यक्रम का संचालक ही प्रतिभागियों से विषय के विभिन्न पदों पर प्रश्न पूछ करके उनके विचारों को सामने ले आता है। किन्तु बाह्य कार्यक्रम करने पर इसमें श्रोताओं को भी शामिल किया जा सकता है। किंतु यह रेडियो इंटरव्यू एवं रेडियो वार्ता कार्यक्रम से भिन्न है Radio Talk Programme रेडियो वार्ता कार्यक्रम
रेडियो परिचर्चा कार्यक्रम के संदर्भ में हिंदी अंग्रेजी में कई शब्द ऐसे हैं जो से मिलते जुलते हैं । हालांकि इन शब्दों के अपने अपने तरीके से विशिष्ट अर्थ होते हैं । इस संदर्भ में परिचर्चा के लिए चर्चा, बातचीत, बहस, वाद विवाद जैसे शब्द लिए जा सकते हैं। इसी प्रकार से अंग्रेजी भाषा में इस संदर्भ में डिस्कशन, डिबेट, कन्वर्सेशन आदि जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
Objectives of Radio discussion program रेडियो पर चर्चा कार्यक्रम का उद्देश्य –
अन्य कार्यक्रमों की तरह ही रेडियो परिचर्चा कार्यक्रम का भी अपना कुछ खास उद्देश्य होता है। इस प्रकार के कार्यक्रमों का सामान्य उद्देश्य तो किसी विषय के संदर्भ में विभिन्न विचारों को श्रोताओं के समक्ष लाने हेतु उस विषय से जुड़े विशेषज्ञों को एक प्लेटफार्म पर एकत्र करना होता है। इसी के साथ उनके विचारों को जाना समझना भी इसका उद्देश्य होता है। वे अपने बातों को एक दूसरे से भागीदारी करते हैं। इसका अन्य उद्देश्य यह भी है कि इस प्रकार की भागीदारी एवं बातचीत के माध्यम से विषय के विभिन्न पक्षों को प्रकाश में लाया जाये। उसके माध्यम से श्रोंताओं के उसके विभिन्न पहलुओं से परिचित कराना होता है, जिससे कि वे विषय के सभी पक्षों की जानकारी प्राप्त कर सकें।
Characteristics of Radio discussion program रेडियो परिचर्चा कार्यक्रम की विशेषताएं
रेडियो परिचर्चा कार्यक्रम के अंतर्गत किसी विषय पर दो या दो से अधिक व्यक्ति अपने ढंग से उस पर अपने विचार व्यक्त करते हैं। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जो कि परिचर्चा के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इस तरह के कार्यक्रमों में विषय के विभिन्न पक्षों के बारे में जितने ही अधिक विशेषज्ञों को शामिल किया गया रहता है, उसी के अनुसार उसके बारे में उतने ही अच्छे तरीके से चर्चा होती है। इस प्रकार के कार्यक्रमों को सुनने के पश्चात को किसी विषय के विभिन्न पक्षों के बारे में एक समझ बनाने में मदद मिलती है। यही इस प्रकार के कार्यक्रमों का सबसे बड़ी विशेषता होती है।
Importance of Radio discussion program रेडियो परिचर्चा कार्यक्रम का महत्व
रेडियो कार्यक्रम एक ऐसा कार्यक्रम है जिस पर कि लोग अपने अपने विचारों को एक जगह प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार से किसी एक विषय के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश पड़ता है । उससे लोगों को विषय के बारे में विभिन्न नजरिए से देखने का अवसर मिलता है। परिचर्चा कार्यक्रम की प्रस्तुति जितने ही सुंदर तरीके से होती है, उतना ही कार्यक्रम प्रभावी और उपयोगी भी होता है। यह लोगों को अपने अपने विचारों का आदान प्रदान करने का अवसर भी प्रदान करता है। लोग इसी बहाने अपने विचारों को दूसरों को सुनाते हैं। दूसरों के विचारों को सुनते हैं। यह लोकतांत्रिक समाज में संवाद करने का एक बहुत ही अच्छा तरीका भी है ।
Participants in Radio discussion परिचर्चा कार्यक्रम के प्रतिभागी
जैसा कि पहले बताया गया पर चर्चा कार्यक्रम के अंतर्गत किसी विषय के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञ अपने विचार व्यक्त करते है। अतः ऐसे विषयों में प्रतिभागियों का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि वे ही व्यक्ति इसमें आमंत्रित किए जाएं जो वांछित विषय के किसी न किसी पहलू के विशेषज्ञता रखते हैं। वे उसके बारे में अपने विचार स्पष्ट तरीके से लोगों के समक्ष व्यक्त कर सकें। इस प्रकार के विचार का अपना उपयोग एवं महत्व होना चाहिए । उससे समाज को एक दिशा और मार्गदर्शन मिलना चाहिए।
Duration of Radio discussion programme परिचर्चा कार्यक्रम की अवधि
रेडियो जैसे माध्यम पर परिचर्चा कार्यक्रम को एक निश्चित समय अवधि का रखना आवश्यक हो जाता है। टीवी पर तो परिचर्चा कार्यक्रम लंबी अवधि तक किया जा सकता है। किंतु रेडियो पर इस प्रकार के कार्यक्रम करना संभव नहीं है। रेडियो माध्यम परिचर्चा कार्यक्रम आधे घंटे से लेकर के अधिकतम 45 मिनट तक प्रसारित किया जाना संभव है। परिचर्चा कार्यक्रम की अवधि कार्यक्रम के विषय और उद्देश्य को ध्यान में रख कर किया जा सकता है।
इसी प्रकार से वर्तमान में विज्ञापन को शामिल करके भी परिचर्चा कार्यक्रम किए जाने लगे हैं। इसलिए ऐसे कार्यक्रमों की अवधि विज्ञापन की आवाज को ध्यान में रखकर के भी कम या अधिक होती है। फिलहाल इस प्रकार के कार्यक्रमों का स्वरूप ऐसा होना चाहिए कि प्रत्येक वक्ता दो या तीन बार अपने विचारों को विभिन्न प्रश्नों के संदर्भ में व्यक्त कर सकें।
Coordination of radio discussion परिचर्चा कार्यक्रम का संयोजन
रेडियो परिचर्चा कार्यक्रम को प्रस्तुत करने के लिए एक संयोजक की आवश्यकता होती है। परिचर्चा कार्यक्रम के जो प्रतिभागी होते हैं, उन्हीं में से कोई एक व्यक्ति इस प्रकार के कार्यक्रमों का संयोजन करता है। किंतु इस प्रकार के कार्यक्रमों को संयोजन का दायित्व पत्रकार एवं रेडियो में काम करने वाले एंकर, कंपेयर भी निभाते हैं और वह कार्यक्रमों के संयोजन के विभिन्न पक्षों की बारीक समझ रखते हैं। अतः इस जिम्मेदारी को वह अच्छी तरीके से निभाते हैं। इस प्रकार के संयोजन करते समय संयोजक प्रतिभागियों के परिचय देने के साथ ही विषय को भी स्थापित करता है। वह प्रतिभागियों की विशेषज्ञता को ध्यान में रखकर के उनसे संबंधित प्रश्न करता है। प्रश्न करने के दौरान वह इस बात का ध्यान रखता है कि जो व्यक्ति से प्रश्न किया जा रहा है, वह उस क्षेत्र विशेष से संबंध रखता हो।
Points to consider in Radio discussion coordination परिचर्चा संयोजन में ध्यान देने योग्य बातें
परिचर्चा कार्यक्रम के संयोजक को पर चर्चा के दौरान कई बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। इससे परिचर्चा एक उद्देश्य पूर्ण तरीके से आयोजित होने में मदद मिलती है। विषय को संक्षेप में सही प्रकार से प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी कार्यक्रम संयोजक की ही होती है। इसमें सभी प्रतिभागियों का सही प्रकार से प्रतिभाग करा लेना कार्यक्रम संयोजक की सफलता मानी जाती है। इसी प्रकार से परिचर्चा के विषय को अपने मार्ग पर आगे बढ़ाते रहना और एक-एक करके उसके विविध पहलुओं को ध्यान में रखकर के प्रश्न पूछना और उसके उत्तर को प्रतिभागियों से प्राप्त कर लेना उसके संयोजन की कुशलता है। इस दौरान उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जो कार्यक्रम प्रतिभागी विषय में समुचित भागीदारी नहीं कर पा रहा है । उसे वह इस में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें । यदि कार्यक्रम अपने मार्ग से कहीं इधर उधर भटक रहा है, तो फिर उसे विषय पर केंद्रित किए रहे। कार्यक्रम की गतिशीलता को बनाए रखना, किसी भी प्रकार के और स्पष्ट बात को सही तरीके से प्रस्तुत करना,, श्रोताओं को लगातार संबोधित करना, अनावश्यक चर्चा को दूर करना और सही रूप में कार्यक्रम का समापन करना उसके मुख्य दायित्व होते हैं ।
Radio discussion परिचर्चा कार्यक्रम में श्रोताओं की भागीदारी
वर्तमान में सूचना तकनीक की उपलब्धता और कार्यक्रम की विविधता को बनाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए अब ऐसे भी परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित किए जाने लगे हैं, जिसमें कि सुविधाओं की भी भागीदारी होती है। किंतु इस प्रकार की भागीदारी एक सीमित रूप में ही होती ह। यह कार्यक्रम को कहीं अधिक प्रभावी रूप देता है श्रोताओं के प्रश्न आमंत्रित किए जाते हैं । कई बार रिकॉर्डिंग दौरान कुछ आमंत्रित होता होते हैं, जिनसे कार्यक्रम का एक दौर समाप्त होने के बाद प्रश्न आमंत्रित करते हैं। इसी तरह से कुछ और तरीका अपना करके कार्यक्रम को रोचक बनाने का प्रयास किया जा सकता है।
यदि श्रोताओं की सीधी भागीदारी पर चर्चा कार्यक्रम नहीं हो रही है तो उस स्थिति में परिचर्चा के बारे में जानकारी देते हुए श्रोताओं से कुछ प्रश्न आमंत्रित किए जा सकते हैं। यह प्रश्न ईमेल या रिकॉर्ड फॉर्म में हो सकते हैं । इन प्रश्नों को परिचर्चा में शामिल विशेषज्ञों के समक्ष प्रस्तुत करके उनके उत्तर प्राप्त किए जा सकते हैं । फिर कार्यक्रम के संपादन के दौरान उसे सही तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
Radio discussion का समापन
दिये गये अवधि के पश्चात परिचर्चा कार्यक्रम को समाप्त करना भी कार्यक्रम संयोजक का दायित्व होता है। इस संदर्भ में वह पूर्व में संकेत भी देता है। प्रतिभागियों से आखिरी प्रश्न के रूप में कहते हुए उनके विचारों को आमंत्रित करता है। संपूर्ण परिचर्चा के दौरान उभरकर के मुख्य विचारों को संक्षेप में आखिर में रखते हुए सभी को धन्यवाद के साथ कार्यक्रम का समापन करता है।