Facial expression is a form of nonverbal communication. Various aspects of this communication has been discussed in this article. फेसियल एक्सप्रेसन चेहरे की अभिव्यक्ति
Proximity in communication , Smell and communication
अभिव्यक्ति हमारी बहुत ही मूलभूत स्वभाव एवं आवष्यकता है। इसी के माध्यम से हम अपनी जरूरत हेतु सन्देष सम्प्रेषण का कार्य करते हैं। सामान्यतौर पर भाषा ही हमारे सन्देष सम्प्रेषण का सबसे अधिक प्रचलित साधन है, हम सन्देष सम्प्रेषण के लिए नानवर्बल या अमौखिक तरीका भी अपनाते हैं। इसके अन्तर्गत षरीर के हाव भाव एवं अन्य प्रकार की अभिव्यक्ति आते हैं।
जब हम फेसियल एक्सप्रेषन की बात करते हैं तो फिर उसका आषय व्यक्ति के चेहरे द्वारा व्यक्त किये जाने वाले सभी प्रकार के भाव हैं। चेहरे द्वारा व्यक्त किये जाने वाली भाव एवं सन्देष नानवर्बल रूप में अभिव्यक्ति का हमारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण तरीका है। चेहरे में स्थित विभिन्न प्रकार की मांस पेषियों की मदद से दस हजार से भी अधिक तरह के अभिव्यक्ति किये जा सकते हैं। इसमें से बहुत प्रकार के अभिव्यक्ति तो उस दौर के भी हैं, जब कि मानव आदिम युग में रह करके अपने विविध प्रकार के भावों एवं सन्देषों को देने के लिए व्यक्त करता रहा है।
हमारे चेहरे पर कुछ भाव तो समय समय पर स्थिति वश उभर करके सामने आते रहते हैं और ये सभी भाव व्यक्ति के उम्र,, स्थान, भाषा आदि से परे हो करके व्यक्त होते रहते है।
हमारे जीवन के स्थिति के अनुसार जो विविध प्रकार के मनोभाव चेहरे पर उत्पन्न होते हैं, उन्हे हम सामान्य तौर पर छः भागों में विभाजित कर सकते हैं। इसमें प्रेम या खुषी, शोक या दुःख, डर, आष्चर्य, घृणा एवं क्रोध मुख्य है। किन्तु इसी के साथ दो या दो से अधिक भाव भी हम महसूस करते हैं और उन्हे व्यक्त भी करते है। उदाहरण के लिए हम आष्चर्य व्यक्त करते हैं, किन्तु यदि इसकी अभिव्यक्ति खुषी या क्रोध के साथ की जा रही है, तो इस प्रकार का मिला जुला भाव चेहरे पर भी व्यक्त होता है। दुःख अपने आप में एक अलग भाव है, किन्तु दुःख के साथ डर, का्रेध, आष्चर्य, घृणा में से कोई भाव भी षामिल हो सकता है। इसी तरह से डर के साथ क्रोध, आष्चर्य, घृणा भाव भी हो सकता है।
इन सभी प्रकार के भावों को व्यक्त करने में हमारे चेहरे की मांसपेशियों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जो छः भाव पहले मूल भाव के रूप में बताये गये हैं, वे सभी व्यक्ति के मनोभावों के व्यक्त होने के दौरान चेहरे की मांस पेषियों में भिन्न भिन्न बदलाव या खिंचाव के कारण ही होता हैं। चेहरे पर एक से अधिक भाव व्यक्त होने के दौरान उसका मिला जुला रूप व्यक्त होता है। इस प्रकार के भावों को पढ़ने के लिए उपयोग में लाये जाने वाले कम्प्यूटर की मदद से यह बता सकना संभव हो पाता है कि कोई व्यक्ति किस प्रकार का एक या एक से अधिक भाव व्यक्त कर रहा है। इन्हे एक तरफ जहाॅ हम चेहरे एवं षरीर के अन्य अंगो द्वारा व्यक्त करते हैं, वहीं पर इसे हम शब्दों के द्वारा भी व्यक्त करते हैं।
युवा चेहरे की तुलना में वृद्ध चेहरे पर व्यक्त भावनात्मक अभिव्यक्ति की पहचान करना कई बार अपेक्षाकृत अधिक कठिन हो जाता है। इसका एक मुख्य कारण यह अन्दाजा लगाया जाता है कि उम्र से संबंधित परिवर्तन है । जैसे कि झुर्रियाँ और सिलवटें चेहरे पर हो जाती हैं। उम्र के बढ़ने के साथ चेहरे की मांसपेशियों की वृद्ध व्यक्तियों की चेहरे के माध्यम से मनोभावों के अभिव्यक्ति प्रदर्शित करने की क्षमता को कम करती हैं। दूसरी तरफ कुछ खास प्रकार के भाव या अन्दाज चेहरे पर बहुत ही स्थायी तौर पर व्यक्त हो जाते हैं। एक अन्य कारण यह भी है कि उम्र बढ़ने के साथ विविध प्रकार के भावों के प्रति व्यक्ति बहुत उदासीन हो करके व्यवहार करता है और उसके प्रति उसकी अभिव्यक्ति कम होती है
Facial expression in different feeling विविध भावों में चेहरे का खिंचाव एवं बदलाव –
विविध प्रकार के भावों के व्यक्त करने के दौरान चेहरे की मांस पेषियां भिन्न भिन्न प्रकार से खीेंच जाती है या फैलती है। क्रोध के भाव में भौवें नीचे खींच जाती हैं और ओठ के किनारे खींच जाते है। इस प्रकार के चेहरे को दिखाने या फिर हो जाने के पीछे कारण यह होता है कि वह अपने को मजबूत के तौर पर प्रस्तुत करना चाहता है। यह एक चेतावनी के तौर पर प्रस्तुत होता है। यह विवाद के होने का परिचायक भी होता है। डर के समय चेहरे का भाव उत्पन्न स्थिति से लड़ने या फिर उससे बचने हेतु भागने के लिए तैयारी के तौर पर प्रस्तुत होता है। आंॅंख का अधिक खुलना इस बात के लिए तैयारी करता है कि व्यक्ति अपने अगल बगल किसी प्रकार के खतरे को अधिक से अधिक देख सके। उस समय व्यक्ति अपनी नाक को भी अधिक खोलता है जिससे कि वह अधिक से अधिक आॅक्सीजन ले करके किसी प्रकार के शारीरिक कार्य जैसे दौड़ने, लड़ने आदि के कार्य को तत्काल कर सके। जब हम घृणा को भाव व्यक्त करते हैं तो फिर इसमें स्वयं की रक्षा करने का भी भाव रहता है। किसी भी वस्तु को देखने, सुनने एवं सूॅघने से बचने के लिए हम चेहरे से वैसी ही प्रतिक्रिया करने लगते है। व्यक्ति नाक पर रूमाल रखने का प्रयास करता है। हम इसे किसी प्रकार से कमजोर या निष्क्रिय करने की कोषिष करते है। आॅंख को मूॅंदना एवं नाक को सिकोड़ना जैसे अभिव्यक्ति भी दिखते हैं
Uncontrolled Facial expression अनियंत्रित ढंग से चेहरे के भावों का व्यक्त होना
चेहरे के द्वारा भावों के संचार के सम्बन्ध में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इसमें से कई तो बिल्कुल अनियंत्रित ढंग से कार्य करती है। उदाहरण के लिए डर में चेहरे पर जो अभिव्यक्ति होती है, वह अनायास ही हो जाती है। उसके लिए हमें किसी प्रकार का कोई खास प्रयास नही करना पड़ता है। इसी प्रकार से जब हम दुःख या खुषी की खबर सुनते या दृष्य देख करके यदि वास्तव में दुःखी या खुष हुए हैं तो फिर उसकी अभिव्यक्ति चेहरे के माध्यम से व्यक्त हो ही जाता है। यदि कोई इसे छिपाने का प्रयास करता है तो फिर उसमें कठिनाई होती है, क्योकि मांस पेशियों को नियंत्रित करना आसान नही होता है।
किन्तु कुछ व्यक्ति चेहरे के भावों को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने में सफल होते है। कलाकारों में तो यह गुण विषेषतौर से होता है। फिल्मों, नाटक, टीवी सीरियलों में कार्य करने वाले कलाकार अपने चेहरे पर खास प्रकार के भाव विकसित करने में सफल हो जाते है। यद्यपि चेहरे पर विविध भाव दर्षाने के लिए मेक अप का भी सहारा लिया जाता है। कुछ ऐसे सफल व्यक्ति व्यावहारिक जीवन में भी कई बार अपने सफल अभिनय से लोगों को गुमराह भी कर देते है। वहीं चेहरे के भावों को खास प्रकार से व्यक्त करने के लिए अन्य ढंग के उपाय भी किये जाते हैं। उदाहरण के लिए आॅंख में बनावटी आॅंसू लाने के लिए ग्लिसरीन का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त तमाम ऐसी भी सामग्री का उपयोग किया जाता है जो कि अपने ढंग से अलग खास अभिव्यक्ति करते हैं। इसमें चेहरे की बनावट, उसके अपने मनोभाव से परे उसके किसी खास स्थान एवं समुदाय से जुड़ाव को व्यक्त करते हैं। फेसियल एक्सप्रेषन का कुछ खास तौर तरीका व्यक्ति के अपने भौगोलिक एवं मूल स्वरूप से जुड़ा हुआ होता है। इसी तरह किसी प्रकार की दुर्घटना आदि के कारण चेहरे पर उत्पन्न विकृति के कारण चेहरे द्वारा भावों को व्यक्त करने के दौरान वह सहज तरीके से व्यक्त होता हुआ नही दिखता है
Face color in Facial expression भावाभिव्यक्ति में चेहरे का रंग –
चेहरे पर कुछ खास प्रकार के भावों के व्यक्त होने के दौरान चेहरे का रंग भी कुछ हद तक बदल जाता है। शर्मिन्दा होने क्रोध उत्पन्न होने पर चेहरे के त्वचा का रंग लाल हो जाता है। इसी प्रकार से घृणा एवं विरक्ति के भाव में यह हरा तथा दृःख के भाव में चेहरे का त्वचा नीला पड़ जाता है। इसी तरह से डर में त्वचा का रंग काला हो जाता है एवं आष्चर्य के भाव में चेहरे पर चमक उत्पन्न हो जाता है। खुषी में चेहरे का रंग पीला पड़ जाता है।
Skin color and Facial expression in disease रोग में चेहरे के त्वचा का रंग –
चेहरे का रंग बीमारी से भी जुड़ा हुआ होता है। चेहरे के त्वचा का रंग षरीर के स्वस्थता का भी परिचायक है। विविध प्रकार की शारीरिक समस्याओं में शरीर के त्वचा का रंग भी प्रभावित होता है। इसके बारे में मेडिकल की दुनिया में विषेष रूप में अध्ययन किया जाता है।
Decoding Facial expression चेहरे के भाव को डिकोड करना
चेहरा को देख कर हमारे कुछ आन्तरिक मनोभावों को तो बहुत ही आसानी के साथ पढ़ा जा सकता है। गैर मौखिक तौर पर व्यक्त किये जाने वाले ये सभी भाव एक समान तौर पर सभी के चेहरे पर एक ही अन्दाज में व्यक्त होते हैं। हॅसी, खुषी, क्रोध, दया, घृणा जैसे भाव तो सभी के चेहरे पर एक जैसे व्यक्त होते हैं। किन्तु इसमें से कुछ भावों को पढ़ने में समस्या होती है। उदाहरण के लिए डर एवं आष्चर्य के भाव के अन्तर करके समझना कई बार कठिन हो जाता है। इसके परे बातों को जानने के लिए हमें व्यक्ति के अन्य प्रकार के षारीरिक भाषा का ध्यान देने की जरूरत होती है। इसके अन्तर्गत व्यक्ति के उठने, बैठने के तौर तरीके से ले करके चलने एवं हाथ के उॅगलियों के हिलने डुलने के ढंग का निरीक्षण किया जा सकता है। यदि वह इस पर नियत्रण नही किया है, तो फिर ये व्यवहार विरोधाभाषपूर्ण होंगे।
Feed forward in Facial expression फीड फारवर्ड
फेसियल एक्सप्रेसन का एक बहुत महत्वपूर्ण परिकल्पना यह भी है कि जिस प्रकार से विविध स्थितियों के कारण हमारे चेहरे पर विविध प्रकार के भाव उत्पन्न होते हैं, उसी प्रकार से जब हम चेहरे के मांस पेषियों को खास प्रकार से बनाते हैं तो फिर उससे सम्बन्धित भाव भी कुछ हद तक हमारे भीतर उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार यदि हम मुस्कुराने की भाव भॅगिमा उत्पन्न करते हैं, तो फिर हमारे भीतर खुषी का भाव उत्पन्न होता है। इसी प्रकार से जब हम दुःख की भाव भंगिमा बनाते हैं तो फिर हम दुःख का भाव महसूस करते हैं। इस प्रकार से यह देखा जा सकता है कि किस प्रकार से हमारे सिर की मांस पेषिया भावनाओं एवं व्यवहार को नियंत्रित करने का कार्य करती हैं।
जानवरों में फेसियल एक्सप्रेषन Facial expression in animal
इन्सान के विपरीत अन्य प्राणियों की भाषा बहुत ही कम विकसित होती है। इसलिए उनके बीच विविध प्रकार के सन्देषों का आदान प्रदान नावर्बल ढंग से ही अधिक होता है। यद्यपि अन्य प्रणियों में नानवर्बल विकल्प ही अधिक उपयोग किये जाते है। इसमें शरीर के अन्य अंगों के संचालन के साथ साथ चेहरे के हाव भाव द्वारा भी किया जाता है। भिन्न भिन्न जानवरों द्वारा चेहरे से किये जाने वाले भावाभिव्यक्ति का दायरा भी भिन्न भिन्न होता है। कुछ जानवरों में यह काफी अधिक मुखर हो करके सामने आता है,वही अन्य में अत्यधिक सीमित होता है। क्रोध खुषी, दुःख जैसे भावों को कुछ हद तक देखा जाना आसान होता है। किन्तु विज्ञान की दुनिया में इसकी बातें अधिक स्पष्ट तौर पर देखी एवं पढ़ी जाती है। शोधकर्ता वर्तमान में इसके बारे में षोध करके कई ऐसे तथ्यों का पता लगाया है जिससे कि इन प्राणियों के चेहरे के अभिव्यक्ति के बारे में अधिक से अधिक जानकारी मिलती है। कुछ व्यक्तियों में कुछ खास प्रकार के कारणों से चेहरे केे माध्यम से विविध भावों की अभिव्यक्ति उसी प्रकार से नही होती है जैसा कि एक सामान्य व्यक्ति कर लेता है। इसमें निम्न मुख्य हैं –
चेहरे पर कम या कम भावनात्मक अभिव्यक्ति
मौखिक और अशाब्दिक दोनों तरीकों से कम या कम भावनात्मक प्रतिक्रिया
उदासीनता की उपस्थिति
मोनोटोन बोलने वाली आवाज
दूसरों के साथ आंखों के संपर्क से बचना
चेहरे के भावों में बहुत कम या कोई बदलाव नहीं
निष्कर्ष
चेहरे के भाव को पढ़ लेना हमारे संचार कुषलता के अन्तर्गत आता है और हममें से अधिकतर लोग अपने अनुभव एवं ज्ञान से ही इसके बारे में जानकारी रखते हैं। किसी व्यक्ति से कुछ सुने बगैर उसके अन्दर के भाव को जान लेना हमारी अपनी संचार कुषलता है। चेहरे की अभिव्यक्ति को सही प्रकार से न समझने से सही प्रकार से संचार करने में समस्या होती है। वही, कुछ व्यक्ति इस बीमारी से भी षिकार होते हैं, जिसमें कि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के बारे में गलत अनुमान भी लगा लेते हैं। चेहरे की अभिव्यक्ति को सही ढंग से पढ़ लेने में हमारी जानकारी, ज्ञान के अतिरिक्त अनुभव का भी काफी अधिक योगदान होता है। हमारा यही प्रयास होना चाहिए कि व्यक्ति के मनाभावों को सही प्रकार से जाने और समझे और उसे ध्यान में रख करके संचार करें।