Importance of greeting in communication अभिवादन का संचार में महत्व
Greeting in communication has always been given high place in our life. This article discusses the importance of greeting in communication of our daily life .
लोगो के बीच में किसी भी प्रकार के संचार का आरम्भ आपस में अभिवादन के साथ होता है। अभिवादन को प्रणाम करना एवं नमस्कार करना भी कहते हैं । यह हमारे सभ्यता एवं संस्कृति का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। जब हम किसी से एक समय बाद मिलते है तो अपनी संस्कृति एवं परम्परा के अनुसार एक दूसरे का अभिवादन करते है। इसके माध्यम से हम एक दूसरे को संचार की प्रक्रिया के लिए मानसिक तौर पर सकारात्मक रूप से तैयार भी करते हैं। किसी भी व्यक्ति के साथ आरम्भिक भेंट या भेंट का आरम्भिक पल एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण होता है। उस अवसर पर की जाने वाली बातें एवं व्यवहार बाद के पलों में व्यक्ति के साथ किये जाने वाले संवाद की दशा एवं दिशा के निर्धारण में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतः इस पल में बहुत ही सावधान हो करके बात एवं व्यवहार करने की आवश्यकता होती है। कई बार इस महत्वपूर्ण क्षण के बारे में किसी प्रकार की कोई समझ न होने के कारण व्यक्ति अपने जीवन के उस अवसर पर मिलने वाले लाभ को गवाॅं देते हैं। अतः इस पल के सन्दर्भ में उचित जानकारी एवं समझ रखना आवश्यक है। लोगों के साथ सही प्रकार से अभिवादन करना इसी अवसर पर किये जाने वाला एक महत्वपूर्ण आरम्भिक न केवल संचार है, वरन् बाद में सही प्रकार से संचार करने की नींव भी है।Smell and communication
जीवन में अभिवादन संचार का महत्व Importance of greeting in communication
अभिवादन करना आपस में सार्थक ढंग से संचार आरम्भ करने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं आवश्यक तौर तरीका है। औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों प्रकार के संचार में यह अति आवश्यक होता है। इसके विभिन्न सकारात्मक पहलू है। एक समय पश्चात मिलने पर तो यह संचार के इस प्रक्रिया का निर्वहन करना हमारे दैनिक जीवन के आचार व्यवहार एवं नैतिक मूल्यों एवं सामाजिक परम्परा के एक अभिन्न अंग के तौर पर माना जाता है।
जब किसी व्यक्ति का अभिवादन किया जाता है तो फिर सम्बन्धित व्यक्ति के साथ तत्काल एक सकारात्मक वातावरण बन जाता है। यह व्यक्ति को एक दूसरे के साथ व्यक्तिगत् स्तर पर जोड़ने का बहुत ही उत्तम तरीका है। किसी अपरिचित को हम अभिवादन करके उसे परिचय बनाने की प्रक्रिया की अतिमहत्वपूर्ण शुभारंभ करते है। भिन्न भिन्न संस्कृतियों में अभिवादन का तौर तरीका थोड़ा थोड़ा भिन्न होता है, किन्तु जब कोई व्यक्ति अपने सामने वाले के तौर तरीके को ध्यान में रख करके अभिवादन करता है तो फिर वह उसको अधिक सम्मान ही दे रहा होता है।
greeting in communication develops positive feeling
एक अभिवादन मात्र कर देने से किसी व्यक्ति के बारे में दूसरे के मन में एक सकारात्मक भाव पैदा कर देता है और किसी भी प्रकार के आगे अन्य प्रकार के संचार करने के लिए यह एक सकारात्मक परिवेश तैयार करता है। अभिवादन के माध्यम से हम सामने वाले व्यक्ति मन में एक प्रसन्नता का भी भाव उत्पन्न करते हैं। इससे उसको एक संन्तुष्टि मिलती है। यह हमारी एक उपलब्धि कही जा सकती है। एक अभिवादन के द्वारा हम दूसरें के प्रति सम्मान, प्रसन्नता, धन्यवाद का भाव प्रदर्षित करते है। यह कार्य अन्य बातें कहे बगैर दूसरें को सम्मान देने का एक बहुत ही संस्कारयुक्त तरीका है। इसके माध्यम से हम स्वयं अपने प्रति लोगों के मन में आरम्भ में ही एक सकारात्मक ढंग से व्यवहार करने के लिए उसके मन में एक बीज बो देते हैं।
सही प्रकार से अभिवादन करके हम एक तरफ अपने सभ्यता एवं संस्कार के बारे में भी जानकारी देते है। यह हमारे व्यवहार कुशलता वह उसके का भी परिचायक है। इससे यह भी आभास होता है कि हम अपने जीवन में संचार के तौर तरीके के आरम्भिक पहलू की न केवल समझ, वरन् आदत भी है।
अभिवादन का महत्व न केवल संचार के आरम्भिक अवसर पर करनें में बहुत ही आवश्यक एवं महत्वपूर्ण होता है, वरन् जब हम एक दूसरे से अलग होते है, उस समय भी यह आवश्यक होता है। यह एक प्रकार से एक दूसरे से अलग होने का औपचारिक सूचना के साथ साथ मानसिक तौर पर सन्तुष्टि प्रदान करता है। बगैर अभिवादन किये एक दूसरे से विदा होना दोनों के लिए अजीब महसूस करा देता है।
greeting in communication completes gap of communication
अभिवादन उन स्थितियों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, जब व्यक्ति को एक दूसरे से कोई खास संवाद नही करना रहता है। उस स्थिति को अभिवादन करने के लघु संचार के माध्यम से बहुत ही अच्छे ढंग से निपट लिया जाता है। इसका आशा हैयही है कि दोनो पक्ष एक दूसरे से सम्मानपूर्ण ढंग से न्यूनतम संवाद को कर लिए है और दोनों को एक दूसरे के संज्ञान में है। अभिवादन उस स्थिति में भी अनिवार्य हो जाता है, जब व्यक्ति एक दूसरे को पूर्व में जानते है। अजनबी के साथ कई बार स्थिति वश एकाएक संवाद करना पड़ता है, जिसमें कि अभिवादन नही हो पाता है। किन्तु किसी भी औपचारिक संवाद से पूर्व अभिवादन करना उसी संवाद का ही एक अंग होता है । भले ही वह अजनबी के साथ ही क्यों न किया जा रहा हो।
Denying greeting in communication results negative consequences
किसी से अभिवादन के करने का जहाॅं इतने सकारात्मक पहलू हैं, वहीं पर अभिवादन न करने के कई नकारात्मक पहलू भी है। पूर्व परिचित व्यक्ति के साथ अभिवादन न करने से उसके साथ अन्य आगे के संवाद सहज ढंग से नही हो पाते हैं और देर तक व्यक्ति एक अटपटी स्थिति में महसूस करता है। इसी के साथ बहुत औरचारिक स्थिति एवं परिवेश में ऐसा व्यवहार दूसरे के लिए अपमानजनक भी हो सकता है। कहीं पर भी दो परिचित व्यक्ति जब तक आपस में अभिवादन नही कर लेते है, तब तक दोनों एक असहज स्थिति की अनुभूति करते है। जानबूझ कर अभिवादन न करने वाला व्यक्ति दूसरे का अपमान करने से कहीं अधिक अपना नुकसान करता है और एक नकारात्क व्यक्तित्व का प्रदर्शन करता है। ऐसा करके वह अपने और सामने वाले के मन में एक नकारात्मक भाव उत्पन्न करता है। अतः हमें अपने जीवन में सुन्दर ढंग से अभिवादन की आदत सदैव बनाये रखनी चाहिए।
भिन्न भिन्न प्रकार से अभिवादन
अभिवादन हमारी सभ्यता एवं संस्कृति से जुड कर किया जाने वाला दैनिक एक बहुत ही महत्वपूर्ण संचार है। यही कारण है कि सभी संभ्यता, संस्कृतियों का यह एक बहुत ही अभिन्न अंग है और इसे अपने अपने तरीके से इसे किया जाता है। अधिकतर अभिवादन में हम अपने इष्ट देवता, ईश्वर को याद करते हुए उनके प्रति अपना समर्पण व्यक्त करते है, उनका गुणगान करते है और लोक कल्याण की कामना के साथ साथ आषीर्वाद देते है एवं प्राप्त करते हैं। किन्तु इसमें मूल भाव एक ही प्रकार का होता है।
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कैसे करें सही अभिवादन
जब हम किसी व्यक्ति का अभिवादन कर रहे होते है तो फिर उसे पूरे भाव एवं सम्मान के साथ करना चाहिए। इसके अन्तर्गत जो तरीके है उसे ध्यान में रख करके बाडी लैंग्वेज एवं चेहरे के हाव भाव एवं बोले जाने वाले शब्द की सही प्रकार से स्पष्टता होनी चाहिए। हमारे अभिवादन में पूरा समर्पण एवं ईमानदारी दिखनी चाहिए।
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