December 23, 2024

Medium is message is famous statement of Marshal McLuhan. The article discusses its importance and relevance.
मीडिया स्टडी वर्ल्ड की तरफ से एक बार फिर हम आप के समक्ष एक नये विषय पर चर्चा करने के लिए प्रस्तुत है। संचार की दुनिया में विविध प्रकार के संचार माध्यमों के क्रिया कलाप एवं प्रभाव एवं सामाजिक अन्तक्र्रिया के सन्दर्भ में कई सिद्धान्त दिये गये हैं। विविध विद्वानों द्वारा इन्हे प्रस्तुत किया गया है। इस सन्दर्भ में दिये गये कुछ संचार पद वाक्य तो बहुत ही प्रसिद्ध हुए है। इसमें से एक पद माध्यम की महत्ता को वर्णित करते हुए कहा गया है।

Bullet theory of Mass Media जनमाध्यम का बुलेट सिद्धांत
हम किसी भी सन्देष को भिन्न भिन्न माध्यमों से कहते हैं । तो क्या सभी माध्यमों से कही गयी बात एक समान प्रभाव डालता है । यह एक ऐसा प्रष्न है जिसके उत्तर में आप कह सकते है कि अरे! मुख्य बात तो सन्देष कहने की है। इसे जिस किसी भी माध्यम से कह दिया जाये। जैसा सन्देष होगा, उसी के अनुसार उसका प्रभाव होगा। किन्तु यही पर संचार वैज्ञानिक मार्षल मैकलूहान भिन्न राय रखते है। उनके अनुसार कोई सन्देष कैसा प्रभाव डालेगा , यह सन्देष देने वाले माध्यम पर निर्भर करता है। और इस सन्दर्भ मे ंतो उन्होने बाकायदे एक सूत्र वाक्य भी प्रस्तुत किया जिसे कि मीडियम इज द मैसेज के नाम से जानते है। मीडियम इज द मैसेज अर्थात माध्यम ही संदेश है। मीडियम इज दी मैसेज वाक्य को कनाडा के शिक्षाविद् और सिद्धांतवादी मार्शल मैक्लुहान द्वारा 1964 में प्रस्तुत किया गया था । यह पद अपने आप में बहुत ही मषहूर हुआ । आज भी हम इस पद का जहाॅ तहाॅ इस्तेमाल करते है।


यदि आप जानना चाहते है कि मार्षल मैकलूहान द्वारा मीडियम इज द मैसेज पद का सबसे पहले कब इस्तेमाल किया गया है तो इसका उत्तर यह है कि इसे पद को इस संचार वैज्ञानिक ने सबसे पहले अपनी किताब अंडरस्टैंडिंग मीडिया – दी एक्सटेंशन ऑफ मैन में एक अध्याय के रूप में प्रस्तुत किया है । अर्थात् यह पद इस पुस्तक में एक अध्याय के शीर्षक के तौर पर दिया गया है। यह पुस्तक सर्वप्रथम 1967 में प्रकाशित हुई थी । मैकलूहान ने माध्यम के रूप में उन सभी कारकों को सन्दर्भित करने के लिए उपयोग किया जो कि लोग एक दूसरें को सन्देष कैसे प्रेषित करते है उसे प्रभावित करता है।


मीडियम इज द मैसेज पद को बहुत ही बहुत ही व्यापक स्तर पर विवेचना किया जाता है। इसमें यह भी कहा गया है कि किसी भी प्रकार की सूचना को संप्रेषित करने के लिए जो तौर तरीका अपनाया जाता है वह प्रेषित किए जाने वाले संदेश पर बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।


अब इस बात को यदि हम बहुत सरल तरीके से बताना चाहे तो हम यह कह सकते हैं कि हमारे पास किसी भी संदेश को भेजने के लिए विभिन्न प्रकार माध्यम और चैनल उपलब्ध हैं रहते हैं। इसमें जनमाध्यम से लेकर के व्यक्तिगत माध्यम भी शामिल हैं। इस प्रत्येक माध्यम की अपनी खास तरह की विषेषताएं होती है। ये सभी माध्यम अपनी अपनी विशिष्ट परिवेश बनाता है। इसका जब इसका बहुत ही अधिक इस्तेमाल किया जाता है तो फिर किसी समाज और संस्कृति को एक नया स्वरूप प्रदान करता है। एक ही संदेश को हम सीधे तौर पर सामने कहने के अतिरिक्त उसे लिख करके टीवी माध्यम पर एवं रेडियो माध्यम पर प्रस्तुत कर सकते है। अब संदेश एक ही होने के बावजूद भिन्न भिन्न माध्यमों से उसे कहने के कारण वह भिन्न भिन्न ढंग से ग्रहण किया जा सकता है।


उदाहरण के लिए रेडियो टीवी, पुस्तक, पॉडकास्ट, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से किसी संदेश को प्रेषित किया जा सकता है । जब किसी एक ही संदेश को इन भिन्न भिन्न माध्यमों से प्रेषित किया जाता है तो रिसीवर की उसके प्रति अलग अलग नजरिया बनता है। यह कथन अक्सर माध्यमों के लिए विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है । इसमें माध्यम बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है और उसके बारे में यह धारणा है कि वह दुनिया के बारे में हमारे सोच को प्रभावित करता हैं।

Radio drama
उदाहरण के लिए, किसी समाचारपत्र या पत्रिका में किसी दृश्य का वर्णन पढ़ने से किसी व्यक्ति पर उसके बारे में प्रभाव, उसे सुनने या उसकी तस्वीर को देखने, की तुलना में एक अलग प्रभाव पड़ता है। मीडियम इज द मैसेज Medium is the message वाक्य का इसके अंतर्गत संदेश का अर्थ और अन्य तरीके एवं पहलू भी शामिल है जिसके बारे में सुनने वाला अपनी धारणा बनाता है। मार्शल मैकलूहान ने मीडिया या माध्यम को मानव का ही विस्तार कहा। जिस प्रकार से कोई व्यक्ति किसी संदेश को किसी व्यक्ति के सामने तो सीधे कह सकता है , किन्तु उससे दूर होने पर वह इस प्रकार का सीधा संवाद नही कर पाता है और उसे माध्यम की आवश्यकता पड़ती। फिर जिस माध्यम से उस संदेश को प्रेषित किया जा रहा होता है, उसकी जो विशेषता रहती है, उसी के अनुसार संदेश को पाने वाले पर उस संदेश की शक्ति और प्रभाव होता है।

इस प्रकार से हम यह भी कह सकते है कि किसी एक ही बात को कौन व्यक्ति कब एवं कहाॅ पर कह रहा है या किसके माध्यम से कह रहा है , उसके अनुसार उसका प्रभाव होता है। उसी प्रकार से किसी संदेश को किस माध्यम से कब एवं कैसे कहा गया है, उसके अनुसार उसका प्रभाव बनता है। वर्तमान के सन्दर्भ में यदि हम मार्शल मैकलूहान द्वारा यह सिद्धान्त काफी पहले दिया गया था। किन्तु न्यू मीडिया के सन्दर्भ में यह सिद्धान्त कहीं अधिक सटीक रूप में दिखता है। उस समय तो विविध प्रकार के जो माध्यम उपलब्ध रहे हैं। वर्तमान में किसी प्रकार के संदेश को प्रेषित करने के लिए विविध प्रकार के डिजिटल माध्यम उपलब्ध है। मीडियम इज द मैसेज medium is the message सिद्धांत वर्तमान में संचार की दुनिया का एक बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्धांत बन गया है और यह मीडिया के क्षेत्र में पहले की तुलना में कहीं अधिक संदर्भ युक्त दिखता है।

Helical Model
मीडियम इज द मैसेज medium is the message पद का एकेडमिक जगत में काफी अधिक इस्तेमाल किया जाता है। इसे हमारे शैक्षिक जगत में विभिन्न प्रकार के विचारों को व्यक्त करने के दौरान इस्तेमाल किया जाता है । मीडिया और उसके प्रभाव के बारे में जब भी हम कोई बात करते हैं तो इस पद को भी उन्हें अवश्य करते हैं और यह हमारी शिक्षा का एक बहुत ही पद है । भिन्न-भिन्न व्यक्ति इस पद का विभिन्न तरीके से विवेचना करते हैं ।

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