December 23, 2024

Abhivadan, Namaskar, greeting is essential part of our culture. Importance of namaskar has been described in this article.

अभिवादन संचार का महत्व Importance of namaskar / Abhivadan communication in life

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अभिवादन नमस्कार आपस में भेंट मुलाकात का आरंभिक तौर पर किए जाने वाला संचार है । यह हमारे सभ्यता , संस्कृति और परंपरा से जुड़ा हुआ शिष्टाचार रूप में किया जाने वाला एक आवश्यक संचार है। यह कार्य व्यवहार हमारे जीवन संस्कृति के नैतिक मूल्यों से भी जुड़ा हुआ है । जब दो लोग आपस में मिलते हैं तो उनके बीच किसी भी प्रकार के संचार का आरम्भ आपस में एक दूसरे के अभिवादन के साथ होता है। इसके माध्यम से हम एक दूसरे को संचार की प्रक्रिया के लिए मानसिक तौर सकारात्मक रूप से तैयार भी करते हैं।

किसी भी व्यक्ति के साथ आरम्भिक भेंट या भेंट का आरम्भिक पल एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण होता है। उस अवसर पर की जाने वाली बातें एवं व्यवहार बाद के पलों में व्यक्ति के साथ किये जाने वाले संवाद की दशा एवं दिशा के निर्धारण में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतः इस पल में बहुत ही सावधान हो करके बात एवं व्यवहार करने की आवश्यकता होती है। कई बार इस महत्वपूर्ण क्षण के बारे में किसी प्रकार की कोई समझ न होने के कारण व्यक्ति अपने जीवन के उस अवसर पर मिलने वाले लाभ को गवाॅं देते हैं। अतः इस पल के सन्दर्भ में उचित जानकारी एवं समझ रखना आवश्यक है। लोगों के साथ सही प्रकार से अभिवादन करना इसी अवसर पर किये जाने वाला एक महत्वपूर्ण आरम्भिक न केवल संचार है, वरन् बाद में सही प्रकार से संचार करने की नींव भी है।

जीवन में अभिवादन संचार का महत्व

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अभिवादन करना आपस में सार्थक ढंग से संचार आरम्भ करने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं आवश्यक तौर तरीका है। औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों प्रकार के संचार में यह अति आवश्यक है। इसके विभिन्न सकारात्मक पहलू है। जब किसी के अभिवादन किया जाता है तो फिर सम्बन्धित व्यक्ति के साथ तत्काल एक सकारात्मक वातावरण बन जाता है। यह व्यक्ति को एक दूसरे के साथ व्यक्तिगत् स्तर पर जोड़ने का बहुत ही उत्तम तरीका है। किसी अपरिचित को हम अभिवादन करके उसे परिचय बना लेने की प्रक्रिया की अतिमहत्वपूर्ण शुभारंभ करते है।

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Importance of namaskar in developing positive feelings
एक अभिवादन मात्र कर देने से किसी व्यक्ति के बारे में दूसरे के मन में एक सकारात्मक भाव पैदा कर देता है और किसी भी प्रकार के अन्य संचार करने के लिए यह एक सकारात्मक परिवेशतैयार करता है। अभिवादन के माध्यम से हम सामने वाले व्यक्ति मन में एक प्रसन्नता का भी भाव उत्पन्न करते है। यह हमारी एक उपलब्धि की कही जा सकती है। एक अभिवादन के द्वारा हम दूसरें के प्रति सम्मान प्रसन्नता, धन्यवाद का भाव रिजल्ट शीट करते है। यह कार्य अन्य बातें कहे बगैर दूसरें को सम्मान देने का एक बहुत ही संस्कारयुक्त तरीका है। इसके माध्यम से हम स्वयं अपने प्रति लोगों के मन में आरम्भ में ही एक सकारात्मक ढंग से व्यवहार करने के लिए उसके मन में एक बीज बो देते हैं।

Importance of namaskar in expressing of cultural values

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सही प्रकार से अभिवादन करके हम एक तरफ अपने सभ्यता एवं संस्कार के बारे में भी जानकारी देते है। यह हमारे व्यवहार कुशलता का भी परिचायक है। इससे यह भी आभास होता है कि हम अपने जीवन में संचार के तौर तरीके के आरम्भिक पहलू की न केवल समझ, वरन् आदत भी है। अभिवादन का महत्व न केवल संचार के आरम्भिक अवसर पर करनें में बहुत ही आवश्यक एवं महत्वपूर्ण होता है, वरन् जब हम एक दूसरे से अलग होते है, उस समय भी यह आवश्यक होता है। यह एक प्रकार से एक दूसरे से अलग होने का औपचारिक सूचना के साथ साथ मानसिक तौर पर सन्तुष्टि प्रदान करता है। बगैर अभिवादन किये एक दूसरे से विदा होना दोनों के लिए अजीब महसूस करा देता है।


अभिवादन उन स्थितियों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, जब व्यक्ति को एक दूसरे से किसी खास संवाद नही करना रहता है। उस स्थिति को अभिवादन करने के लघु संचार के माध्यम से बहुत ही अच्छे ढंग से निपट लिया जाता है। इसका आशय यही है कि दोनो पक्ष एक दूसरे से सम्मानपूर्ण ढंग से न्यूनतम संवाद को कर लिए है और दोनों को एक दूसरे के संज्ञान में है। अभिवादन उस स्थिति में एक अनिवार्य हो जाता है, जब व्यक्ति एक दूसरे को पूर्व में जानते है । अजनबी के साथ कई बार स्थितिवश संवाद करना पड़ता है जिसमें कि अभिवादन नही हो पाता है। किन्तु किसी भी औपचारिक संवाद से पूर्व अभिवादन उसी संवाद का ही एक अंग होता है, भले ही वह किसी के साथ किया जा रहा हो।


किसी का अभिवादन के करने का जहाॅं इतने सकारात्मक पहलू हैं, वहीं पर अभिवादन न करने के कई नकारात्मक पहलू भी है। पूर्व परिचित व्यक्ति के साथ अभिवादन न करने से उसके साथ अन्य आगे के संवाद नही हो पाते हैं । इसके अभाव में संवाद करने में झिझक होती है और देर तक व्यक्ति एक अटपटे स्थिति में महसूस करता है। इसी के साथ बहुत औरचारिक स्थिति एवं परिवेश में अभिवादन न करने का व्यवहार दूसरे के लिए अपमानजनक भी हो सकता है। किन्तु ऐसा व्यवहार करने वाला व्यक्ति दूसरे का अपमान करने से कहीं अधिक अपना नुकसान करता है और उसका एक नकारात्क व्यक्तित्व का प्रदर्शन होता है। ऐसा करके वह अपने और सामने वाले के मन में एक नकारात्मक भाव उत्पन्न करता है। अतः हमें अपने जीवन में सुन्दर ढंग से अभिवादन की आदत सदैव बनाये रखनी चाहिए। भले ही इसके बाद अन्य प्रकार के संचार न किए जाएं किंतु अभिवादन संचार के सारी संभावनाओं को बनाए रखता है।

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